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उत्तराखंडी ई-पत्रिका

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Tuesday, February 19, 2013

नै जमानौ गढ़वळिs स्वांगुं (नाटकुं ) सौ सालै जात्रा


(s -अधा अ )

सद्यनि बिटेन गढ़वाळ विलखछणि धर्म,संस्कृति, ब्यूंत, कौंळ(कला), अर भुगोल्या स्थितिs बान प्रसिद्ध च. लोक स्वांग ब्यून्तो/ तरीकोंम बि गढ़वाळ बिलखणि छौ। बादी-बादण व्यवसायिक स्टार पर अर समाज हरेक स्थिति मा लोक-नाटकों तै समौ, जगा, जाति (वर्ग याने क्लास ) को हिसाब से बढ़ाणम कामयाब रैन। अब समौ मांग से बादी अपन जातीय व्यवसाय छुड़णा छन अर एक हिसाबन सै बात बि च।
नै जमानो स्वांगुं प्रचलन ब्रिटिश शिक्षा से इ आयि।

आजौ स्वांगों तै समौ हिसाब से बंटण कठण च, किलैकि एकी समौ पर एकि परविरती नि मिलदी
गढ़वळि स्वांग भौं भौं किसमौ छन जन कि -

-समाज का लोगुं बीच स्वांग
-धार्मिक स्वांग
-इतायासो अधारो स्वांग
-ख़ास दिखणेरूं बान खिले गे स्वांग
-परिवार्या (पारिवारिक ) स्वांग
-कै ख़ास परम्परा वळु स्वांग
-कळकळो या तरास दिखांद स्वांग/करुण रसीय नाटक
-सम्भोग श्रृंगारिक नाटक
-विप्रलंभ श्रृंगारिक नाटक
-संबंधियों से प्रेम आधारित नाटक
-प्रहसन या हास्य नाटक
-प्रहसन युक्त व्यंग्यात्मक नाटक
-निखालिस व्यंग्यात्मक नाटक
- वात्सल्य मूलक नाटक
-प्रति वात्सल्य मूलक नाटक
-वीर रस युक्त नाटक
-भक्ति या स्वामी भक्ति पूर्ण आधुनिक नाटक
-अपराधिक नाटक व जासूसी नाटक
-संवेदन शील नाटक
-रहस्यात्मक या भूत आदि नाटक
-न्याय पूरक नाटक
-प्रेरणा दायक नाटक
-बाल नाटक
-हौर किसमौ नाटक

जख तलक नया जमानो स्वांगों सवाल च भवानी दत्त थपलियालन जागर कथाs अडसारो लेकि (आधारित) 'जय विजय 'नाटक लेखिक गढ़वळि नै जमानौ स्वांगुं पवाण लगै पण पैल ऊंको लिख्युं स्वांग 'भक्त प्रल्हाद' छ्पी (१९१२).
'बाबा जीक कपाळ क्रिया' अर 'फौन्दार कि कछेड़ी' प्रहलाद नाटको भाग हूंदा बि मंचनो हिसाब से बिगऴयां स्वांगोंम गणे जांदन। आज बि यि स्वांग अपण चबोड़, चखन्यो, क्रूर राजनीति, क बान उथगा इ नै छन जथगा १९१२-१ ३ म छ्या।
१९३०म पौड़ीs नामी गिरामी वकील घना नन्द बहुगुणान 'समाज' नाटक लखनऊ बिटेन छपाइ।
विश्वम्बर दत्त उनियालs गां -गौळो( सामाजिक) स्वांग 'बसंती' १९३२म देहरादूनम खिले ग्याइ।

सत्य प्रसाद रतूड़ी , देवी दत्त नौटियाल, विद्या लाल नौटियाल, मढ़कर नौटियाल (चार मित्र सूखक) लिख्युं अर विजय रतूड़ीs लिख्यां गीत वळु नाटक 'पांखु' १९३२म टिहरीम खिले गे।

इश्वरी दत्त जुयालs लिख्युं स्वांग 'परिवर्तन' १९३४म कराचीम छप।
भगवती प्रसाद पांथरी रच्युं 'अध : पतन' (१९४०-४१) गां -गौळो( सामाजिक) स्वांग च अर .पांथरीs रच्युं दुसरु नाटक 'भूतों कि खोह'(१९४०) च। .

.भगवती प्रसाद चंदोलाs रच्युं श्रमदान पर व्यंग्य करदारो नाटक 'आज अळसो छोड़ देवा' देहरादूनम मंचित ह्वे।
जीत सिंह नेगी द्वारा लिखित गीत-गद्य नाटक 'भारी भूल ' १९५५-५६ मंचित ह्वे अर १९५७म प्रकाशित ह्वे।
जीत सिंह नेगीs छप्यां-अणछप्यां स्वांग जीतू 'जीतू बगडवाल' , 'राजू पोस्टमैन', 'रामी बौराणी' सबि खिले गेन अर 1987 बिटेन 'मलेथा की कूल' नृत्य नाटिका कु मंचन बिजां दें होंद गे।

डा. गोविन्द चातकs सात स्वांगुं खौळ (नाट्य-संग्रह ) 'जंगली फूल' 1957म छप। 'ब्वारी वहू प्रताड़ना विषयी स्वाग च, 'द्वी हजार कि द्वी आंखी' जनानी मनोविज्ञानs कि कथाच; 'घात ''अंधविश्वास विरोधी, 'जंगली फूल' सामाजिक नाटक; केर(मानव अधिकार संबंधी) ; मुंडारो (अनमेल विवाह) ; 'नौनु हुंद तो' (पुत्र लालसा) वळ स्वांग छन। यी सबि गढ़वाली नाट्य विधाका गैणा (तारे) छन।
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अबोध बंधु बहुगुणाs 'छिलाs छौळ ' बादी बादण भौणेर (शैली) स्वांग १९५९म ' उत्तराखंड साप्ताहिक'म छप।
ललित मोहन थपलियालs सबि नाटक १९५५का पैथर खिले गेन। 'खाडू लापता' एक हंसोड्या अर चबोड्या स्वांग च ( हसी व्यंग्य मिश्रित सामाजिक नाटक); 'अन्छरियों का ताल' एक रहस्यात्मक व दार्शनिक नाटक च, 'एकीकरण' सामजिक संस्थाओं पर चमकताळ लगन्देरू स्वांग च, ; 'घर जवें' एक हास्य व्यंग्यात्मक नाटक च त है; 'चमत्कार' अंधविश्वास विरोधी नाटक च।
सन अस्सी से पैलि देहरादूनम दामोदर थपलियालs नाटक -मनखि, औंसी क रात, तिब्बत विजय व प्रायश्चित मंचित ह्वेन। जांमादे मनखि व औंसी क रात' प्रकाशित हुयां छन।

पाराशर गौड़ लिख्युं नाटक 'औंसी कि रात' 1962म दिल्लीम मंच्याई अर पैलि दै जनान्युन कै गढ़वाळी स्वांगम पाठ ख्याल।
जगदीश पोखरियालs रच्युं देश भगति स्वांग 'नाची नरसिंग' (1963)दिल्लीम मंच्याई।
मुंबईम १९६२-६३म दीन दयाल द्विवेदी रच्युं सामाजिक नाटक 'जागरण' मंचित्यायि।

लौर्ड डुनसाने कृत, उन्ना देसी (विदेशी) नाट्कौ अनुदित 'चट्टी की एक रात' (१९७०) स्वांग कु निर्देशन विश्व मोहन बडोलान कार। भीष्म कुकरेतीन येयी स्वांगो अनुवाद 'ढाबा मा एक रात' (२०१२) से कार अर इंटरनेट माध्यमम छपायि।
राजेन्द्र धष्मानाs रच्युं सामजिक संस्थाओं पर चोट करदारो 'जंकजोड़ ' (१९७०) ' नाटक च त ' अर्धग्रामेश्वर' नवाड़ी ब्यूंतदारी स्वांग ( आधनिक शैली का नाटक ) 'अर्ध ग्रामेश्वर ' (1976) सामयिक ग्रामीण व्यवस्था व प्रवासियों को खटकरम दिखांदो।
सन १९७०-71म भीष्म कुकरेती व सम्पूर्ण बिष्ट द्वारा प्रेम चंद कृत 'कफन' को रूपांतरित नाटक भंडारी बाग़, देहरादूनम मंच्यायि। .कफन पर १९८०म कुसुम नौटियाल द्वारा रूपांतरित नाटक दिल्लीम खिले गे।

सन 1970-71म ही भीष्म कुकरेती अर सम्पूर्ण सिंह बिष्ट को रच्युं व्यंगात्मक नाटक 'ए ब्वे दारु पिलै दे' भंडारी बाग़, देहरादूनम मंच्यायि।
१९७१ बिटेन सन अस्सी तक किशोर घिल्डियाल (काली प्रकसाद घिल्डियाल) का नाटक- 'दूणो जनम' (छुवाछूत विषयक ) ; 'रग ठग '(पुत्र-पुत्रीहीन दम्पति का संघर्ष) व 'कीडू क ब्व़े '(स्त्री त्याग व संघर्ष) दिल्लीम खिले गेन।

१९७१म पाराशर गौड़s लिख्युं 'चोळी' (महत्वाकांक्षा सम्बन्धी ) स्वांग दिल्लीम मंचित ह्वै।.
मदन थपलियालs अनुदित कश्मीरी नाटक का रूपांतरित नाटक 'नाटक बन्द करो' कु मंचन दिल्ली ( १९७३)म ह्वे।
नित्यानंद मैठाणीs लिख्याँ हंसोड्या-चखन्योर्या स्वांग 'चौडंडि'च तो 'छुट्या बल्द ' (१९७५) युवा शक्ति जागरण वळु रेडिओ नाटक च.; . 'च्यूं ' लोक कथा ब्यूंतदर्या ( शैली) स्वांग च।; मैठाणीs हौरि 'फुलमुंडी सासू ' वहु प्रताडन विषयक; ; 'खौल्या' (गरीबी, कुपोषण ); ना थीड माई तै (पुत्र लालसा संबंधी ), टॉम (शराब विरोधी) नामी गिरामी छन(सभी नाटक १९७५ का छन).
चिंता मणि बडथ्वालs लिख्युं ' टिन्चरी ' स्वांग दिल्लीम १९७६म मंचित ह्वे।
डा. पुष्कर नैथाणी द्वारा लिख्युं नाटक 'अभिज्ञान शाकुंतलम' (१९७८-७९) कालिदास कु संस्कृत नाटकs उमदा अनुवाद च।.
स्वरूप ढौंडियालs लिख्युं नवाड़ी ब्यूंतदारी नाटक 'अदालत' कति दें मंचित ह्वे (१९७९) अर स्वांग पलायन विभीषिका दर्शान्दो असलियत वादी नाटक च।

कन्हयालाल डंडरियाल द्वारा लिख्युं अर राजेन्द्र धष्माना द्वारा रूपांतरित नाटक 'कंशानुक्रम' १९७९म दिल्लीम मंच्यायि।.
इनि दिल्लम १९७० बिटेन १९७५ तक मंचित वीरेन्द्र मोहन रतूड़ीs 'एक जौ अगने' व गिरधारी लाल कंकालs रच्युं नाटको कु आधुनिक गढ़वाली नाटकुंम बड़ी जगा च।

वैदराज गोविन्दराम पोखरियाल को संयुक्त परिवार कि विभीषिका दिखान्दो 'बंटवारो ' नाटक अस्सी कु दशकम प्रकाशित ह्वे।
१९८० से पैलि ब्रज मोहन कबटियाल द्वारा लिखित , निर्देशित धार्मिक गीतेय नाटक 'किष्किन्धा काण्ड' कथगा दें कोटद्वारम मंचित ह्वे। सन 1980 से पैल ब्रज मोहन कबटियालन 'वीर चन्द्र सिंह गढ़वाली', 'गंगू रमोला' 'जीतु बगड्वाल', 'बीर बाला तीलु रौतेला', 'ओड का झगड़ा' , व 'अनपढ़' जन ऐतिहासिक व सामाजिक विषयी नाटक लिखेन व कोटद्वारम खिले बि गेन।
डा. हरिदत्त भट्ट का नाटक 'नौबत, 'दिवता नचा', 'ब्यो कि बात', 'छि कख क्या' १९८० से पैलि प्रकाशित व मंचित ह्वेन अर मूलत : यि नाटक सामजिक व हसी व्यंग्य वळ स्वांग छन।

डी.डी. सुंदरियाल लिखित ज़ात-पंत विरोधी 'जौंळ -बुरांश' (१९७९)म चंडीगढ़म मंच्यायि।
सुरेन्द्र बलोदी द्वारा लिखित व निर्देशित नाटक 'ब्यखनि क घाम" (१९८०) एक दार्शनिक, मनोवैज्ञानिक व प्रेरणादायक नाटक च।
एन. डी. लखेड़ा लिखित शराब विरोधी नाटक घुंघटो ' १९८०म चण्डीगढ़म खिले गे।
डी.डी. सुंदरियाल लिखित बाल प्रताडन आधारित 'औंसी कु चांद' नाटक चण्डीगढ़म १९८०म मंच्यायि।
पलायन विभीषिका आधारित ,डी.डी. सुंदरियालs लिख्युं 'खंद्वार ' स्वांग १९८०म चंडीगढ़म खिले गे।
शांति स्वरुप उनियालs लिख्युं स्त्री वीरता विषयी 'विधवा ब्योली' नाटक कु प्रकाशन १९८० मा ह्वे अर मंचन बि ह्वे।
एई दौरान शारदा नेगी द्वारा लिखित शाहुकारी विरुद्ध नाटक ' चक्रचाळ ' मंचित ह्वे।
मदन बल्लभ डोभाल लिखित नाटक 'खबेस' अनेक विषय उठांदो नाटक दिल्लीम मंचित ह्वे।

चंडीगढ़म मंचित , १९८१ डी.डी. सुंदरियाल लिखित 'दानु दिवता बुडू केदार' द्वी दगड्याण्यु टकराव की कहानी दर्शान्दि।
प्रसिद्ध लोक कथा 'तैड़ी तिलोगी ' पर आधरित सुंदरियाल द्वारा रूपांतरित 'धौळि का आंसू ' १९८०-१९८३ का बीच ५-६ दें पंजाबम खिले गे।
पंजाबम अस्सी का दशकम में एन.डी. लखेड़ा लिखित नाटक 'जग्वाळ ' (अंध विश्वास विरोधी) व 'आस निरास' (संयुक्त परिवारों का टूटना ) ; डी.डी. सुंदरियाल लिखित 'रत व्योणा'(विधवा विवाह समर्थन ), 'सरगा दिदा पाणि पाणि' (ग्रामीण भ्रस्टाचार) व तीलु रौतेली (लोक गाथा), 'जथगा डाड डाड' (सड़ी गली शिक्षा विरोध) और बलवंत रावत लिखित 'अर सपना सच ह्व़े ग्याई' नाटक पंजाबम मंचित ह्वेन।
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सचिदानंद कांडपालs लिख्युं स्वांग ' मीतु रौत '(1982) जो चंडीगढ़म मंचित ह्वे यु एक वीर रस युक्त ऐतिहासिक व लोक कथा आधारित नाटक च।

मोहन सिंह बिष्ट द्वारा रचित अपसंस्कृति व दहेज़ कुप्रथा का रोग आधारित 'औडळ' (१९८२) नाटक दिल्लीम मंच्याइ।
चन्द्र शेखर नैथाणी लिखित विकलांग समस्या का नाटक ' मांगण ' १९८२ मा दिल्लीम खिले गे।
कन्हया लाल डंडरियालs दहेज़ पर चोट करदो 'स्वयंबर' नाटक १९८३म में दिल्लीम मंचित ह्वे।
आयि
ब्रज लाल शाह द्वारा रचित 'महाभारत' नृत्य नाटिका १९८४म दिल्लीम मंचित ह्वे।
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पाराशर गौड़s रच्युं प्रायोगिक नाटक 'आन्दोलन' उत्तराखंड राज्य संघर्ष पर लिख्युं नाटक च जो १९८०-१९८५ का बीच मंचित ह्वे। . गौड़ कु 'रिहर्सल' नाटक एक रोमांचकारी नाटक च जु दिल्लीम मंच्यायि।

प्रेम लाल भट्ट कु जातीय संघर्ष का 'खबेस लग्युं च रे खबेश' (१९८५) नाटक दिल्लीम खिले गे।

अबोध बन्धु बहुगुणा लिखित (सभी नाटक १९८६म चक्रचाळ संकलित ) मा 'अंद्र ताल' नाटक प्रवासी गढ़वालियों के करूँ कथा बखान करदो , बहुगुणा द्वारा ऐतिहासिक नाटक 'अंतिम गढ़'; गढ़वाल सभा देहरादून द्वारा मंचित ह्वे।. बहुगुणा लिखित 'चक्रचाळ' एक रेडिओ नाटक च; दुघर्या'मा विधवा पुर्नार्विवाह समर्थन च ; 'फरक '. जात पांत विरोधी, 'जीतू हरण' लोक गाथा आधारित पद्य-गद्य नाटिका; 'जोड़ घटाणो ' प्रवासियों के आत्मिक व भौतिक संघर्ष आधारित; 'कचबिटाळ' प्रवासी व वासी गढ़वालियों मध्य अन्तराल, 'काठे बिराळी ' (प्रवाशियो कि समस्या प्रधान ) ; 'किरायेदार' (खोय पाया विषय) ; कुलंगार (कुत्सित प्रवृतियों पर चोट ) ; माई को लाल (श्री देव सुमन बलिदान) , नाग मयूर (ऐतिहासिक); नौछमी नारायण (कृष्ण का नौ रूप); सृष्ठी संभव (दार्शनिक ); 'तिलपातर' ( बदलाव) नाटक संकलित छन।
ब्रजेन्द्र लाल शाह द्वारा लिखित नाटक 'जीतू बगडवाल' १९८६म दिल्ली म मंचित ह्वे।
प्रेम लाल भट्टs लिख्युं पारिवारिक नाटक ' बडी ब्वारी' दिल्लीम मंच्यायि।
१९८७म पुरुषोत्तम डोभाल कृत 'टिल्लू रौतेली' नाटक प्रकाशमा आयि।

१९८६-८७मा कुसुम नौटियालs लिख्युं , लोक कथा आधरित 'लिंडर्या छ्वारा' नाटक मंचित ह्वे।
हरीश थपलियालs लिख्युं व निर्देशित पलायन विभीषिका विषयs स्वांग 'हौळ कु लगाल?" (१९८७) अर हंसौड्या-चबोड़्या नाटक 'मेरी पैलि चोरी '(१९८९) भरा नाटक 'मुंबईम मंच्यायि। .

दिनेश भारद्वाज व रमण कुकरेती द्वारा लिखित हास्य व्यंग्यात्मक नाटक ' बुड्या लापता' १९८५- ८७ का बीच मुंबईम खिले गे।
भीष्म कुकरेती द्वारा लिखित 'द्वी पळया' (गढ़ ऐना, १९८९) नाटक कंदुड़ोन सुणनम अर आंख्युंन दिखणम भेद बतान्दो प्रेरणात्मक नाटक च।
गोविन्द कपरीयालs लिख्युं अंध विश्वासों पर चोट करदारो नाटक ' मेरो नाती' (१९८९) गैरसैणम मंचित ह्वे।.
ललित केशवानs रच्युं ऐतिहासिक नाटक ' हरि हिंदवाण ' १९८९म दिल्लिम खिले गे।
दिनेश भारद्वाज द्वारा लिखित लोक गाथा आधारित गीतेय नाटक 'तिल्लु रौतेली' मुंबईम १९८९ मा मंचित ह्वे।
भीष्म कुकरेती द्वारा 1985म लिख्युं राजनैतिक व्यंग्यात्मक नाटक 'बखरौं ग्वेर स्याळ' रंत रैबार (२००५) मा प्रकाशित्यायि (प्रकाशित हुआ)।

भगवती प्रसाद मिश्र द्वारा लिखित धार्मिक नाटक 'बाल नारायण' गढ़ ऐनाम ( मई , १९९०) छप।
गढ़ ऐना के मई, १९९० , अंकोंम नागेन्द्र बहुगुणा द्वारा लिखित स्थानीय शराब माफिया की पोल खोलदो 'चंदन' नाटक प्रकाशित्यायि।
मुंबईमा सोनू पंवारs रच्युं नाटक ' बख्त्वार बाड़ा ' १९८९- १९९० को करीब मंचित्यायि(मंचित हुआ)।
प्रेम लाल भट्ट लिखित, गरीबी व ऋण विषयी नाटक 'नथुली' १९९०म खिले गे।

धाद (जन. १९९१)म डा. नरेंद्र गौनियाल को शराब विरोधी नाटक 'शराबी' प्रकाशित्यायि। .
राजेन्द्र धष्मानाs मराठी नाटक को रूपान्तर 'पैसा ना ध्यला नाम च गुमान सिंग रौतेला ' कु मंचन दिल्लीम १९९२मा ह्वे।.
१९९२म मंचित व ओम प्रकाश सेमवालs लिख्युं 'गरीबी' (१९९२) नाटक जो चाहो वही पाओ विषय युवाओं कुणि प्रेरणात्मक नाटक च , 'दैजू' (१९९५म मंचित ) नाटक दहेज प्रथा को नकारने वळु नाटक च. ओम प्रकाश सेमवाल कु नशा विरोधी नाटक 'नशा '१९९३म मंचित्यायि।
स्वरुप ढौंडियालs लिख्युं 'मंगतू बौळया' (१९९३) ग्रामीण आर्थिक दशा दरशान्दो असलियतवादी नाटक च।
कुला नन्द घनशालाs रच्युं 'निखी बाग़ (१९९३) प्रशाश्कीय लाल फीताशाही , भ्रष्ट तन्त्र पर डंडा लगांदो नाटक च।
सुरेन्द्र बलोदी द्वारा लिखित व मंचित (१९९४) नाटक ' सुरमा' स्त्री उत्पीडन व त्रास पर आधारित नाटक च अर शराब माफिया विरोधनी टिंचरि बाई पर आधारित बलोदी कु नाटक ' ब्व़े तु फिर ऐ' १९९५म मंचित्यायि।

शराब की बुराईयों पर आधारित , ओम प्रकाश सेमवालs लिख्युं नाटक ' ब्यौ' १९९५म मंच्यायि।
ओम प्रकाश सेमवालs लिख्युं ज़ात पांत व्यवस्था पर चोट करदारो नाटक 'भात' १९९६म मंच्याइ।.
पर्यावरण बचाणम बौणौ जानवरों तैं बचाण बौणै आग रुकण जन विषय पर आधारित ओम सेमवाल कु नाटक ' कखि लगीं आग अर कखि लग्युं बाग़' १९९७म मंचित्यायि(मंचित हुआ)।

सेमवाल द्वारा पुत्र जन्म को महत्व व व पुत्री जनम को महत्वहीन की मान्यता पर आधारित नाटक 'पुत्रजन्म और नामकरण' १९९७म खिले गे।

ओम प्रकाश सेमवालs लिख्युं गां-गौळौ विषयी ( सामाजिक) नाटक 'दगड़ी' १९९८म मंच्यायि।
वन संरक्षण पर आधारित कुला नन्द घनशालाs लिख्युं स्वांग 'रामू पतरोल' १९९८म मंचित ह्वे।.
ओम प्रकाश सेमवालs लिख्युं अपणो ही रिश्तेदारों को लुठणो विषयौ 'नौकरी'स्वांग १९९९म मंचित्यायि(मंचित हुआ)।
भारतीय शिक्षा कु लमडदो स्तर तै दिखांदो कुलानन्द घनशालाs लिख्युं स्वांग कंप्लेंट (२००० )म छप।
'पागल' (ओम प्रकाश सेमवाल, २०००म मंचित ) अंधविश्वास पर चोट करदारो नाटक च।
डा. डी.आर. पुरोहित, सचिदा नन्द कांडपाल व कृष्णा नन्द नौटियालs लिख्युं 'चक्रव्यूह ' (२००१) स्वांग क महाभारत कथा पर आधारित नाटक च जू कथगा दें मंचित ह्वे।

ओम प्रकाश सेमवाल लिखित चुनावी धांधली आधारित 'चुनाव नाटक २००१म खिले ग्यायि।
२००१म डा. डी.आर . पुरोहित लिखित ऐतिहासक नाटक 'पाँच भै कठैत ' मंचित हवे।
डा.डी.आर . पुरोहितs लिख्यां 'नंदा देवी जातरा (२००२), एक्लू बटोही (२००४) , इलेक्सनम कृष्ण '(२००८) , 'गांधी बुड्या आइ (२००९), गीत औफ़ गुटका ईटर (२००९), रूपकुंड (नेशनल जिओग्राफी हेतु) नाटक प्रसिद्ध ह्वेन।
ओम प्रकाश सेमवालs बाल शिक्षा सुधार आधारित नाटक 'धौंस' २००२म मंचित्यायि।

कुला नन्द घनशालाs रच्युं लिखित गढ़वाली नाटक 'सुनपट्ट' (२००२) एक हंसौण्या-चखन्यौर्या स्वांग च।
गढ़वाळम स्वास्थ्य सेवाओं की बिगडती दशा दर्शांदो कुला नन्द घनसालाs लिख्युं नाटक 'डाक्टर साब' २००४म प्रकाशित्यायि।
महावीर सिंग कु लिख्युं नाटक 'मुरख्या बुड्या' (२००४) एक हास्य व्यंग्यात्मक नाटक मुंबईम मंचित्यायि।
नन्द लाल भारती टीम रचित 'पांडव गाथा ' जौंलसारी भाषा का नाटक २००५म देहरादूनम मंचित हवे।
2005म रण बीर सिंह चौहानों लिख्युं नाटक 'हंत्या' छप।

२००५म ओम बधानीs लिख्युं लोक गाथा नायकों -बीर भड़ नरु और बिजुला आधारित गीतेय नाटक 'डांड्यू क मैती' देहरादूनम मंचित्यायि।

२००५ में नवांकुर नाट्य समूह पौड़ी द्वारा रचित व भूपनेश कुमार द्वारा निर्देशित वीर गाथा आधारित नाटक 'वीर बधू देवकी' को मंचन देहरादूनम ह्वे।

दिल्लीम दिनेश बिजल्वाण लिखित द्वी नाटक 'पल्टनेर चन्द्र सिंग' (२००५) व 'कैकु ब्यौ कैकु क्यौ' मंचित हुयां छन। अर 'रुमेलो' (शेक्शपियर के ओथेलो का रूपान्तर ) व 'तिल्लू रौतेली' अणछ्प्यां छन।

मनु ढौंडियाल व हरीश बडोला लिखित 'गंगावतरण' धार्मिक आख्यानो व पर्यावरण विषयक नाटक २००७म लखनऊम खिले गे।
डा. डी. आर. पुरोहित लिखित 'बूढ़ देवा' ,२००७म मंचित नाटक एक मास्क लोक नाट्य रूपांतरित नाटक च।
प्रमोद रावतs लिख्युं 'तिलाड़ी एक बिसरीं याद' नाटक को २००७म मंचन ह्वे।

दिनेश गुसाईं एवं दगड्यों द्वारा रच्युं 'गंगू रमोला' धार्मिक गाथा पर आधारित नाटक २००७म देहरादूनम मंचिते। .
ओम बधानी द्वारा लिखित वीर भड़ विषयी गीत -गद्य नाटक 'राणा घमेरू' को मंचन २००७म देहरादूनम ह्वे।
भै-बैणि प्रेम पर लोक कथा आधारित, अरविन्द नेगी द्वारा लिखित व मंचित 'अम्बा बैनोळ' (२००८) गढ़वाळि नाटक च।
'छत्रभंग' शाक्त ध्यानी द्वारा रचित राजनैतिक, व्यंग्यात्मक व गढ़वाळी को पैलो प्रतीतात्मक नाटक २००९म मंचित ह्वे।

कुला नन्द घनशाला द्वारा रचित व मंचित 'चिंता' (२०११) राजनैतिक खेलों पर करारो व्यंग्यात्मक नाटक च। .कुलानन्द घनसाला रचित नाटक 'अब क्या होलु' उत्तराखंड राज्य आन्दोलन विषयक नाटक च। ; 'क्या कन तब 'हास्य व्यंग्य मिश्रित नाटक व फिल्म को विषय शक की बुराई च।

गिरीश सुंदरियाल कृत स्वांग -खौळ ( नाटक संकलन ) 'असगार ' २०११म प्रकाशित्यायि, जामा 'ऐली मेरी पौड़ी ' (२०११) सरकारी दफ्तरोंम लाल फीताशाही पर कटाक्ष करदो व्यंग्यात्मक नाटक च, 'भर्ती' बेरोजगारी व युवा समस्या विषयक नाटक च, 'पाँच साल बाद' एक राजनैतिक हंसोड्या नाटक च, 'शिल्यानाश' एक अडंदेरु ( प्रेरणादायक )नाटक च, अर 'असगार' पलायन कि विभीषिका दिखांदो नाटक च। .

ललित केशवान द्वारा संकलित नाट्य संग्रह (२०११)मा 'भस्मासुर' पुराण विषयी नाटक च, ;'एक मंथरा हैंकि' शराब विरोधी स्वांग च, 'जय बद्रीनारायण' धार्मिक; 'खेल ख़तम' भू माफिया व भू-चोरो पर आधारित ; 'लालसा' .एक सामजिक स्वांग च।

मुंबईम बलदेव राणा को गीत गद्य नाटक 'माधो सिंग भंडारी ' कति दें मंचित ह्वे। बलदेव राणान दस का करीब नाटक मंचित करिन अर यामादे ' नंदा ज़ात यात्रा (२००९ बिटेन बरस्कुल ) एक अभिनव प्रयोग माने जांदो।

इनि मुंबईम कुंदन सिंग नेगीन बि पर्वतीय नाट्य मंच (१९८६ बिटेन अब तक) कुणि नाटक लेखिन अर दिखणेरूं तै 'लाटो ब्यौ' और 'मामा बाबु' खूब पसंद ऐन।

श्रीनगर व अन्य स्थानों में मंचित 'जयद्रथ वध' /कमल व्यूह' भी अपण आपम एक जण्यु-मण्यु नाटक च।
डा. नन्द किशोर हटवालs द्वी नाटक मंचित ह्वेन।
कुलानन्द घनसालाs 'उज्याड़' नाटक मंचित हवे गे।

औजी समाज की खस्ता हालात अर ख़तम हुन्दि गढ़वाळि संस्कृतिव अपसंस्कृति को आण पर विचार करदारो गिरीश सुंदरियालs स्वांग 'कब खुललि रात' सन 2012म छप।

यूं नाटकों अध्ययन से साफ़ च बल गढ़वाळि नाटक गढ़वाळि साहित्यम कविता से बि बड़ो असरदार साहित्य च। सन 1912 बिटेन पवाण लगांदी गढ़वाळि नाटक विधा एक महत्वपूर्ण विधा च। गढ़वाळि नाटकुंम भौं-भौं विषय, बावन त्रेपन भाव पाए गेन। नाटक रचंदेरून सामयिकता अर नाट्य साहित्यौ दगड़ पूरो तालमेल कार। सबि ना सै पण जादातर नाटककारोन प्लौट, थीम, चरित्र चित्रण, विचार, प्रतीकों से बिम्ब बणाण, बचऴयाण (बात चीत), समय , वर्ग, रस अर भावो आदि पर पूरो ध्यान दे। 

Copyright@ Bhishma Kukreti 18 /02/2013 
सन्दर्भ: भीष्म कुकरेती द्वारा 150 से जादा गढ़वाळि नाटकों की समीक्षा

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