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उत्तराखंडी ई-पत्रिका

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Sunday, February 10, 2013

चलो गैरसैणम भूमाफिया बणे जावो !


हौंस इ हौंस मा, चबोड़ इ चबोड़ मा
                        चलो गैरसैणम भूमाफिया बणे जावो !
                                   चबोड़्या-चखन्यौर्या: भीष्म कुकरेती
(s =आधी अ ) 

मीन अखबार बंचद बोलि बल अब लगणु च गैरसैण राजधानी बौणि जालि
मेरि घरवळि बुलण बिस्यायि," तुम से भलो त वो ठेकेदार इ छौ।"
"ह्यां ! कु ठेकेदार?" मीन पूछ।
घरवळिन बथै," जु मि तैं सबसे पैल दिखणो ऐ छौ।"
मीन गुस्साम बोलि," त कौरि लॆन्दि वै ठेकेदारों दगड़ पलाबंद।"
वींन खुलासा कार," अब म्यार बुबा जी अर पूरो परिवार असल गढ़वळि छन त चाहे क्वी करोड़पति बि किलै नि ह्वावो असल गढ़वळि अपण बेटि ब्यापारी या ब्यापारी नेथिक नौनु तै नि बिवांदो।"
मीन चिरड़ेक ब्वाल," पण यो अचाणचक ठेकदार किलै याद आयि।"
घरवळिन बोलि," दिल के अरमान दिल में ही रह गये। काश ! तुम बि देहरादूनम गारा-राड़ा उठाणो ठेकेदार हूंदा।"
मीन पूछ," त क्या ह्वे जांदो?"
वींको जबाब छौ," त राजधानी बणणो परांत तुम बि जमीनों दलाल ह्वे जांदा।"
मीन ब्वाल।' अब जमीनों दलालुं कुण प्रोपर्टी डीलर बुले जांद।"
घरवळिन बोलि,"धीरे धीरे करिक तुम जमीनों दलाल से प्रोपर्टी डेवलपर ह्वे जांदा।"
मीन बोलि," चल दिल के अरमान आज भैर निकाळ इ दे।"
वा बुल्दि गे," फिर तुम देहरादुनौ बड़ो भूमाफिया ह्वे जांदा।"
मीन बोलि," अच्छा?"
वींक अरमान खतेंद गेन," फिर तुम याने भूमाफिया,सबि पार्ट्यु नेता, अधिकारी लोग देहरादून की जमीन पर जायज अर नाजायज तरीका से कब्जा करी लीन्दा।"
मीन बोलि," ये मेरि ब्वे।"
वा बुल्दि गे," फिर तुम जमीन हड़पणों बाण शाम , दाम, दंड भेद का फॉर्मुला अपणान्दा, इख तलक कि कैकि हत्या करण से नि घबरान्दा।"
मिन घबडैक बोल," ये मेरि ब्वै!"
वींको बुलण नि रुक," तुम बि क्रूर भूमाफिया तरां लूट पाट, हत्या सब कुछ से जमीन हथियांदा अर दस गुणा दामोंम बेचिक मुनाफा कमान्दा।"
मीन बोलि," काश मि मुनाफाक मतबल समझ सकदु।"
वींको बुलण छौ," फिर विजय बहुगुणा जी गैरसैण राजधानी क बाण विधान सभा भवनों शिल्यानाश धरदा।"
मीन अचकचैक पूछ," इखम गैरसैण कखन ऐ गे?"
घरवळि बुल्दि गे," गैरसैण को नाम से तुम सरीखा भूमाफियों लाळ चूण बिसे जान्दि अर तुमर ध्यान देहरादून से गैरसैणs तरफ चलि जांदो।"
म्यार गिचन आयि," ये मेरि ब्वे!"
वा नि रूक," उख गैरसैणs न्याड़-ध्वारो सबि जगा पर तुमारो कब्जा ह्वे जांदो। जु पुऴयाण म आंदो वै तै तुम रुप्यों से पुऴयांदा। जु नि माणदो वै तै डरै धमकैक या कैको मुंड फोड़िक गैरसैण की धरती पर तुमारो कब्जा ह्वे जांदो। फिर तुम गैरसैणम मनचाहे दामो पर जमीन बेचदा अर अरब पति ह्वे जांदा। अर मि अरब पत्याण।"
मीन बोलि," बात त तू सै बुलणि छे सुणन म आयि कि गैरसैणम जमीनों भाव सौ गुणा बढ़ी गेन।"

Copyright@ Bhishma Kukreti 9/2/2013 

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