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उत्तराखंडी ई-पत्रिका

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Wednesday, November 21, 2012

बेटी , ब्वारी अर सासु सुख

गढ़वाली हास्य व्यंग्य
हौंसि हौंस मा, चबोड़ इ चबोड़ मा
               बेटी , ब्वारी अर सासु सुख
                        चबोड्या : भीष्म कुकरेती

मि जब छ्वटो थौ अर गां मा थौ या गौं औंदो जौंदो थौ त दिन मा एक बात जरुर सुणदो थौ बल स्या कनि भग्यान च पैल बेट्युं सुख द्याख अब ब्वार्युं सुख दिखणि च . उन कथा दें इन सुणनो बि मिल्दो थौ तैनी ना त सासु सुख द्याख अर जब ब्यार्युं सुख दिखणो दिन ऐन त द्वी ब्वारि देस (प्रवास ) जोग ह्वे गेन .

सबसे खतरनाक सुख बेट्युं माने जांद थौ . अब ब्वारि या सासु सुखौ दगड्या दगड़ ब्वारिक या सासुक तून (ताने ) बि सुणन पड़दा बल मि सि छौं यीं दुफराम घाम मा भर्चेक घास लाणु अर स्या च दिन दुफरा मा सुंगर जन सियीं . पण बेटिक सुख मा कनि बि तून नि सुण्यान्दा छा . ब्वे बि अपणि बेटी बि अपणि। बेट्युं ब्यौ ह्वाई ना कि ब्वेक समज मा नि आंदो थौ कि कब लखड़ो जौं अर कब पऴयो थड़कौं , कब धाणि जौं अर कब गोरम जौं .

जादातर ब्वारि ड्यार आइ त सासु उमर का हिसाबन भैर भितरो काम संबाऴदि छे , जवान सासु घास लखडु जांदी छे पण ब्वारिक काम भितरो नि होंदु थौ ब्वारि क अधिकार क्षेत्रम पुंगड़, बौण हूंदा छा अर कर्तब्यों मा दुन्या भर का काम इख तलक कि कुटण -पिसण बि सासुक हिसाबन भैरौ काम इ हूंद थौ।

हां कुछ सासुं भाग मा ब्वारि सुख नी बि हूंद छौ किलैकि ब्वारि अलग चुलु जि चीणि लींदि छे अर फिर दुयि दूसरों कांद मा रुंदी छे बल मीन सासु सुख नि द्याख या मीन क्या जणन कि ब्वारिक सुख क्या हूंद !

अब अचकाल ब्वे बेट्युं सुख नि देखि सकदी . अब बेटिम पढै काम याने होम वर्क इथगा होंद कि बेटी तै पता इ नि चल्दो दाळ भुजि मा जब तलक हल्दि नि डाळे जावो दाळ भुजि रंग पीलो नि होंद .पढै ख़तम ह्वाओ त नौकरी टेंसन मा बेटी क समजम इ नि आंदो कि आमौ अचारो कुणि लिम्बु ना आमु जर्वत पड़दि। ब्वे बिचारि सुपिन दिखदि रै जांदी कि कबि त बेटी रुस्वड़म जैक जीरू अर भन्गजीरू मा फरक चिताओं . अब इन बेटी जब ससुराड जांदी त सासु सुख की तलास मा रौंदी . उना ईंकि सासु ज्वा जमानो से ब्वारिक सुखो बान सैकड़ो सोमवारों बर्त धरणि राई वीं भक्तण तै शिबजीन बि जबाब दे द्याई बल अचकाल 'ब्वारिक सुख' शब्द इ शब्दकोश से हटी गे त मि कखन त्वे तै ब्वारिक सुखौ बरदान द्यों ? अब जब पार्वती जी अर शिवजी छौंद ब्वार्युंक बि ब्वार्युं सुख नि बरती सकणा छन त वो कखन सासुओं तै ब्वारिक सुखो बरदान द्यावन ! गणेश जीक अर कार्तिकेय जीक घरवळि बल स्वर्गलोक प्रशासन मा बड़ा मैनेजर छन अर यी ब्वारी उल्टां पार्वती जी से सासु सुख मा रेडिकल इम्प्रूवमेंट (आमूल सुधार ) की मांग रोज करणा रौंदन।

अचकाल सबि जगा सासु सुख कि छ्वीं लगदन। जनानी वा इ भाग्यशाली माने जांद जैं तैं सासु सुख मिलणों रावो . अचकाल जवान , अधबुढ़ेड़ जनानी रोज सुबर स्याम 'सासु-सुख' चालीसा पड़णा रौंदन .

क्या शहर क्या गाँव सबि जगा 'सासु-सुखौ ' बान जनानी साल भर मा एक कीर्तन जरूर करान्दन अर अब त जनानी 'ससुर -सुखो ' बान बि नागर्जा-नर्सिंगो घड्यळ धरदन . पैल रिटायर्ड ससुर खालि पेंसन का खातिर इ पूजे जांद छौ अब रिटायर्ड ससुरौ पदोन्नति ह्वे गे अब पेंसन से जादा ससुरौ महत्व बच्चा घिराण अर घौरै देखभाळ करण से बढ़ी गे .

पैल भाई आपसम झगड़ा करदा छा कि नै नै ब्वे अर बाब तै तू इ पाळ पण अब भायुं झगड़ा यु होंद बल नै नै ब्वे बाबु पर मेरो एकाधिकार च . हाँ द्वी झण नौकरी कारन त सासु ससुर की कीमत प्रोविडेंट फंड से जादा हुणि च . अचकाल वर्किंग कपलों कुणि बूड बुड्यो वैल्यू बोनस से जादा च .

क्या गां क्या शहर ! अब त सबी जगा भाइयुं बीच ब्वे बाबु बंटवारो इनि होणु च जन कि तैल अर उपजाऊ पुंगडो बंटवारो हूंद थौ। यो सौब सासु सुख या ससुर सुख का बानि होणु च।

अर जब सासु अर ब्वारि दुयि नौकरी करदन त सासु ब्वारि द्वी इकदगड़ि भगवान से प्रार्थना करदन बल हे भगवान हम तै इमानदार , कामगति नौकर -नौकर्याणि मिलणा रैन . युंकुण नौकर -नौकर्याणि सुख महत्वपूर्ण च .
अब भोळ क्या होलु ना तुम जाणदा ना मि जाणदु पण जू बि बदलाव आलो हमन खौंऴयाणइ च

Copyright@ Bhishma Kukreti 22/11/2012

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