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उत्तराखंडी ई-पत्रिका

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Monday, October 22, 2012

स्कूलम एक दिन

व्यंग्य साहित्य गढ़वाली में चबोड़ इ चबोड़ मा, हौंस इ हौंस मा स्कूलम एक दिन चबोड्या: भीष्म कुकरेती सि परसि गौं जयुं छौ . म्यार बाडा क नौनु हमर गांवक नजिक स्कूल m मास्टर च . मीन टैम बिताणो स्वाच बल जरा स्कूल जैक अपण दिनु स्कूले याद करे जाव . मी बी भैजी दगड़ स्कूल ग्यों . रस्ता मा बड़ी बढिया छ्वीं लगिन . बचपन माँ हम कने स्कूल जांदा छा , मास्टर जी कन पढ़ान्दा छा , कन पिटदा छा , कन फड्यान्दा छा , मास्टर कन ब्वे बुबौं गाळी दीन्दा छ; कन हम रोज एक टिक्वा लांदा छा जौं तै मैना मैना मास्टरों गां लिजांदा छा ; नाळी लांदा छा अर नाळी बि मास्टरों गां पौन्चांदा छा। मास्टर भैजिन बथै बल अब मास्टर बच्चों पर फडे नि सकुद , मास्टर गाळी नि दे सकुदु . भैजि न बताई बल मास्टर पिटण त राइ दूर बच्चों पर प्यार से हथ नि लगे सकुदु बल यु अमेरिका मा असभ्यता कि निसाणि च त अब भारत मा बि बच्चो पर हथ लगाण बिचकीं बाते ध्येय या निसाणि माने जांद . मि खुस होऊं बल अब टिक्वा-नाळी जन संस्कृति नि रै गे सरा रस्ता मास्टर भैजि खिलंदेर जन हंसणु छौ , उत्साहित छौ . पण कुज्याण क्या कांड लगिन कि जनि स्कूल नजिक आयी अर मास्टर भैजि तण्याण बिसे गेन , उंकी हंसी तनाव मा बदले गे जन बुल्यां ऊ तेज झाड़ा रुकणो पुठ्याजोर (कोशिश) लगाणा ह्वावन धौं . जु हथ खुट मजा से हिलणा छया अब स्कुलो नजिक आण से टैट ह्वे गे छा . भैजि इन तण्याणा छा कि इन त नै मास्टर बि नि तण्यान्दु . मीन पूछ बल भैजि कुछ तबियत नासाज च? त मास्टर भैजि न बताई बल ब्याळी जूनियर मास्टर फल लीणो गे छौ त चिंता ह्वे ग्याई कि वु कुज्याण फल पूरी संख्या माँ लायि कि ना , फल कखि सड्या त नि लै गे हो , अर फ़िर ...! फलूं बान मास्टर भैजि चिंताग्रस्त ह्वे गे छा . म्यार बिंगण मा नि आयि कि जु फल चिंता दूर करणो दवा हूँदन वी फल किलै चिंता पैदा करण वाळ ह्वे गेन ? मास्टर भैजि स्कूल पौंछिन त पता चौल बल जूनियर मास्टर जी अबि नि ऐन अर मास्टर भैजि की चिंता हौर बि बढ़ी गे . मास्टर भैजि न छ्वारा छोर्युं क मोनिटर तै मास्टरों जगा पर प्रार्थना करवाणों ब्वाल अर अफु कोप भवन जन कुठड़ी (ऑफिस ) मा बंद ह्वे गेन . पता चौल बल ब्याळी जूनियर मास्टर क बैणि दिखणो द्वीएक लोग आणा छा अर मास्टर भैजि तै चिंता ह्वे कि कखि जूनियर मास्टर स्कूलों बान लयां फल मेमानो तै नि खले द्याओ ! बस या इ बात चिंता को कारण छौ . भैजि क ज्यू लौड़ लौडि पढ़ाण मा नि छौ त स्कुल्या बेमौसम बरसात मा मिंढक जन हाई जम्प अर लॉन्ग जंप मा लीन हुयां छया . इथगा मा वै गौं क मोहन काका स्कूल आई। मास्टर भैजिन बथाई बल मोहन काका ये गौं कु पंच च . मोहन काका न में दगड़ बात बि नि कार कि मोहन काका क छ्वटु भुला सोहन क परिवार मुंबई मा कन च। मोहन काका न मास्टर भैजि तै पूछ बल आज स्कुल्यो कुण क्या फल अयु च . जब मास्टर भैजि न बथै कि जूनियर मास्टर फल लालो त मोहन काका रूसे ग्याई कि अच्कालो मास्टर निहायत इ गैरजिमेदार ह्वे गेन . मोहन काका नराज छौ कि स्कूल खुल्या द्वी घंटा ह्वे गेन अर अबि तलक स्कुल्यो फल नि ऐन .भैर बगैर गोसिक छ्वारा छोरि हल्ला-घ्याळ करणा छा। द्वि चार त मुर्दा लिजाणो खेल बि खिलणा छा अर हथन शंख बि बजाणा छया । कुछ ब्यौ क खेल खिलणा छा अर कुछ थड्या गीत लगाणा छया . मोहन काका क ध्यान इन छ्वटो म्वटो बातो पर नि गे। भौत देर तलक मोहन काका फल टैम पर नि आण तै मास्टरों अनुशाशन की कमी बताणा रैन अर अनुशाशन की परिभाषा परिभाषित कर णा रैन . फिर मोहन काका चली गे अर जांद जंद बोलि गे कि फल चेक करणो नारायण आलो . नारायण पांच म तीन दै फेल ह्वे त वै तै हौळ तांगळ सम्बाळण अर अब पार्ट टाइम मा पंच बि च। इथगा मा स्कूले सरयूळयाणि (भोजन देवी) बि ऐ गे . मास्टर भैजि न सरयूळयाणि दगड़ आधा घंटा माथा पच्ची कार कि आज क्या खाणक बणाण। भैर स्कुल्यो घ्याळ उथगा इ जोर कु छौ . कुछ स्कुल्या लोक कला, ललित कला अर हिंदी फिल्म कला क अभिनव फ्यूजन माँ व्यस्त छाया त कुछ भौं भौं खेल खेलिक ओलम्पिक स्पोर्ट्समैन बणणो तैयारी करणा छया . जूनियर मास्टर कु नि आण से शिक्षा व्यवस्था मा व्यवधान नि अयुं छौ बल्कण मा स्कुल्यो कुण फल नि आण सि शिक्षा व्यवस्था डगमगाणि छे . इथगा मा नारायण अर द्वि पंच स्कूल ऐन। स्कुल्या ललित कला आदि फ्यूजन प्रदर्शन अर ओलम्पिक खिलाड़ी बणणो तैयारी मा इ व्यस्त रैन। पंच लोग ऑफिस मा ऐन अर जब ऊं तै पता चौल कि फल अबि तलक नि ऐन त सबि शिक्षा विभाग का ऐब गणाण बिसे गेन . अर सरा ऐब स्कुलम बच्चो खुण मुफ्त खाणक मुतालिक इ छया . मि तै पैल दै पता चौल कि मुफ्त खाणक की शिक्षा मा कथगा अहमियत च। आज यूं पंचून ठाणि छे कि जब तलक यी फल नि द्याखल युनं स्कुल नि छुड़ण . खैर जूनियर मास्टर आई अर फल बि लायी। सबि पंच फल गणण मा व्यस्त ह्वे गेन अर भैर स्कुल्यो घ्याळ बढ़णो इ छौ . मै इन लग कि सबि पंच इन घ्याळौ अभ्यस्त छया .फल की गणत पूरी होणो बाद सबि पंचू न जूनियर मास्टर तै अनुशाशन ज्ञान बाँट . चूँकि फल पूरा छा त तिनी पंच संतुष्ट ह्वेक चलि गेन . आज दुई मास्टरों मूड खराब छौ त बच्चो क वास्ता ललित कला, लोक कला संगम (फ्यूजन) अर स्पोर्ट विषय इ स्कुल्यो क आज सिलेबस छौ इना स्कुल्यो खाणक तैयार ह्वाई कि प्रधान जी खाणक चेक करणो ऐन . जब प्रधान जिन .खाणक द्याख त संतुष्ट ह्वेक चलि गेन , स्कुल्या अपण एक्स्ट्रा क्युलिकुलर एक्टिविटीज मा बदस्तूर व्यस्त छया . स्कुल्यो न खाणक खाई त मास्टर भैजिन स्कूल की जुमेवारी जूनियर मास्टर मा सौंपी अर ब्वाल कि मि भोळो कुण फल लाणो बजार जाणु छौं . अब हम द्वि भाई पांच किलोमीटर दूर बजार जिना क बाटो मा हिटणा छया . मीन पूछ, "भैजि यु क्या च? पंच प्रधान स्कुलम बच्चो खुण मुफ्त खाणको बारा मा जादा चिंतित छया अर पढाई क बारा मा कुछ बि चिंतित नि छया ? ' मास्टर भैजि क जबाब छौ बल "अब समाज बदली गे। जां पर ध्यान दीण चएंद वांकी समाज तै चिंता नि होंदी अर महत्वहीन बातो पर सरा ध्यान रौंद।" Copyright@ Bhishma Kukreti 20/10/2012

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