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उत्तराखंडी ई-पत्रिका

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Wednesday, September 12, 2012

असली पछ्याण


जै  मनखी  की नी अपणी बोली  -भाषा,
जै मनखी  की नी छ अपणी पछ्याण
वैको क्या ब्वन्न को होला ब्व़े-बाबा
वैकि  जिंदगी मां कुछ नी रस्याण .
ब्व़े कि  बोलि  ही छ दुधबोलि  हमारी
दुधबोली ही मातृभासा हमारी,
गढ़वाली  दुधबोली अर ब्व़े की बोली
ई  मातृभासा - पछ्याण हमारी .
 
सर्वाधिकार@ पूरण पंत पथिक,  देहरादून 9412936055

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