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उत्तराखंडी ई-पत्रिका

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Wednesday, August 29, 2012

अब क्य होलू हे दिदा

 कवि-डॉ नरेन्द्र गौनियाल 

भारत भूमि आज मेरि,कनि किराणी हे दिदा. 
ह्वैगे मुश्किल अब त ज्यादा,अब क्य होलू हे दिदा.

जौंमा सौंप्यूं राज-पाट,ह्वैगीं निख्वर्या हे दिदा.
खांदा-पींदा कन भुखारा,ह्वैगीं यूं तै हे दिदा.

लद्वड़ी दणसट कैरिकै बि,ल्यावा-ल्यावा छन बुना.
माटु बि भसगे यालि यूँन,अब क्य होलू हे दिदा.

स्याळ मारो बाघ मारो,यूंकि पुटगी भ्वारा तुम.
रोग भस्मक लगी गे यूँतै,अब क्य होलू हे दिदा.

ननु पदान ठुलू पदान,सबि मिस्याँ छन हे दिदा.
सबसे निंगुरू बुड्या पदान,अब क्य होलू हे दिदा.  

अब इलाज यूँ सब्युं को, कन पडलो हे दिदा.
घोटि कै जमालघोटा, दीण पडलो हे दिदा.

        डॉ नरेन्द्र गौनियाल .सर्वाधिकार सुरक्षित..narendragauniyal @gmail.com

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