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उत्तराखंडी ई-पत्रिका

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Monday, August 20, 2012

सौ साल अग्वाड़ी कु गढवाळ कुमाऊं


गढ़वाली हास्य व्यंग्य साहित्य
 
                                   सौ साल अग्वाड़ी कु गढवाळ कुमाऊं
 
                                       चबोड्या - भीष्म कुकरेती
[ भविष्य के गढवाल - कुमाऊं पर व्यंग्य; भविष्य के गढवाल - कुमाऊं पर गढ़वाली भाषाई व्यंग्य; भविष्य के गढवाल - कुमाऊं पर उत्तराखंडी भाषा में व्यंग्य;भविष्य के गढवाल - कुमाऊं पर मध्य हिमालयी भाषा में व्यंग्य;भविष्य के गढवाल - कुमाऊं पर हिमालयी भाषा में व्यंग्य;भविष्य के गढवाल - कुमाऊं पर उत्तर भारतीय भाषा में व्यंग्य;भविष्य के गढवाल - कुमाऊं पर भारतीय भाषा में व्यंग्य;भविष्य के गढवाल - कुमाऊं पर दक्षिण एशियाई भाषा में व्यंग्य;भविष्य के गढवाल - कुमाऊं पर एशियाई भाषा में व्यंग्य]
 
              मि घड्याणु छौ बल सौ साल अग्वाड़ी गढ़वाळ -कुमाऊं कनो ह्वालो. म्यार गाँ म्यार नि रै जालो. मि समझणु रौलू बल यू म्यार गाँ च पण जौंक नाम पर यू गाँ ह्वालो उ बुलणा राला बल कि यि प्रवासी गढवळी पागल/ बौळया छन जु हमर ठेका मा कमयुं गां तै अपण गाँ समजणु च. सरा गढ़वाळ रिलायंस या क्वी विदेसी कम्पनि नाम पर रालू जु सरकारी ठेका से गढ़वाळ मा खेती कारल .गढ़वळी कुमाउनी यू खेतुं मा बडी मेनत से नौकरी करणा राला . अर इन बुली जालू कि जब कुमाउनी अर गढ़वळि इथगा मेनत कौरी सकदा छया त यूँन पैल किलै इथगा मेनत णि कार. कुमाउनी अर गढ़वळि समाज एक सवाल कु जबाब नि खुजे साकल कि क्या कारण छ कि कुमाउनी अर गढ़वळि अपण काम मा सुस्त्रामु बुबा होन्दन पण जब नौकरी करदन त यूँ से बड़ा मेनती क्वी हौर नि होंदु.
सेटेलाईट क जरिया प्रवासी अपण गाँ द्याखाल मतबल गूगल से अपण गांवक कूड़ द्याखाल कि कन उख लुखंदर भितर भैर आणा -जाणा छन अर कन लुखंदरूं राज च . जु गाँ मा राला त ऊं मा दु दु गाड़ी होली. प्रधान जी मा पैल एकी गाड़ी होली पण प्रधान जी बणणो बाद एकदम से दस गाड़ी अर एक हैलीकैप्टर ऐ जालो. लोग बाग़ जादातर रोप वे से इना उना जाला . कार त इलै धर्याँ राला जन हम अच्काल लोगूँ तै अपण पुरखों पथरो पयळु, जन्दुर अर गंज्यळ-उर्ख्यळ दिखान्दा.
रिसिकेस से बद्रीनाथ चार धाम कि यात्रा बडी सरल होली . लोग अपण अपण हवाई जाज से जात्रा कारल पण गरीब लोग अपण कार से यात्रा कारल. हाँ डिजास्टर मैनेजमेंट का हाल बुरा इ राला . रेल सेवा बद्रीनाथ, गंगोत्री जमनोत्री तक ह्व़े जाली पण रेल जातरा सबसे मैंगी ह्वेली किलैकि ऐडवेंचरस टूरिज्म या सांसदार जात्रा की बडी पूच रालि. जन आज कवी रिसिकेस बिटेन केदारनाथ तलक घ्वाडा मा जात्रा कारो त वीं जात्रा तै सांसदार जातरा माने जांद उनि वै बगत रेल जातरा सांसदार जात्रा होलि. जात्रा ब्यौपार पर भैर देसूं क कब्जा ह्वालू. जौं गढ़वाल्युं आज जात्रा ब्यौपार चलणु च पण तब गढवळी ब्यौपार करण मा पूरा इ लुंज ह्व़े जाला त आज का गढ़वळि ब्यौपार्युं क पड्नाती/नई साखी होटलुं मा भांड कूंड ध्वाला, कुछ खाणक बि बणाला. टूरिज्म या जात्रा ब्यौपार मा एक बि गढ़वळि कुमाउनी मैनेजर नि दिख्यालु। कारण खुज्याणो हर द्वि साल मा सरकारी कमिसन बैठल कि जातरा ब्यौपार संस्थानु मा गढ़वळि अर कुमाउनी मैनेजर किलै नि छन पण कै बि कमीसन तै कारणु अंत त पन्त नि मीललु . फिर याँ पर बि हर चार साल मा एक कमीसन बैठल कि कमिसनु तै कारण किलै नि मिलणा छन.
सरा गढवाळ कुमाऊं मा सोलर इनर्जी या ऊर्जा से काम चौलल पण सोलर इनर्जी घोर पिछड़ापन कि निसाणी माने जाली. ड्याराडूण मा अल्ट्रा इनर्जी से काम होलू अर यू कारण बि पलायन कु एक कारण होलु. भाभर क्षेत्र सफाचट गैर गढ़वळी अर गैर कुमाउनी क्षेत्र माने जालो अर कुमाउनी अर गढ़वळि अपण बच्चों तै लोक कथा सुणाला बल कबि भाभर कुमाउनी अर गढ़वळि जातिक छयो. याँ से कुमाउनी अर गढ़वळि हीन भावना से ग्रसित हूणा राला. ड्यारा डूण, नैनीताल अर मसूरी मा एक बि मकान पर कुमाउनी अर गढ़वळि कु कब्जा नि रालो अर कुमाउनी अर गढ़वळि अपण नौन्याळो तै लोक कथा सुणाला कि कबि ड्याराडूण, नैनीताल अर मसूरी कुमाउनी अर गढ़वळि यूँ आन अर शान कि निसाणि हुन्दा था.
जगा जगा हर पन्द्यर , गदन पर बाँध बौणि जाला अर यूँ बांधु क मालिक या त उत्तर प्रदेश सरकार, डिल्ली सरकार या ब्यौपारी होला अर उत्तराखंड सरकार यूँ मांगन पाणि क भीक मंगणि रालि.
लोग बाग़ घड्यळ तबी बि धारल पण तब गाँ आणो जरुरत नि रालि वीडिओ कोन्फेरेंस से जगा जगा क लोग घड्यळ मा शामिल ह्वाला इलेक्ट्रोनिक ब्युंत से पूजा क चढावा चढ़ये जालो . भारत का हौर गौं मा अल्ट्रा कम्युनिकेसन कु जाळ रालू त गढवाळ कुमाऊं मा मोडर्न कम्युनिकेसन सिस्टम रालू. मोडर्न कम्युनिकेसन सिस्टम सबसे घोर पिछड्यू इलाका क निसानी माने जालो.
रन्त रैबार, खबर सार या शैलवाणी अखबार राला पण दुसर रूप मा राला अर ओ पन्दरा अगस्तौ खुण इन ल्याखाल --
पिछ्ला सौ सालू मा जख गढ़वाळ कुमाऊं मा दस गुणी प्रगति ह्वाई उख भारत मा बीस गुणी प्रगति ह्वाई. अर भैर देसूं मा पिछ्ला सौ सालुं मा हजार गुणी प्रगति ह्वाई.
गढवाली अर कुमाउनी भाषा तै राज्य सरकारी भाषा क दर्जा मीलु जालो पण बुलण वाळ क्वी नि रालो किलैकि अंतरजातीय ब्यौ तब आम ह्वालो अर खुदाना खास्ता एक गढवळी जब गढवळी से ब्यौ कारल त टाइम्स इंडिया मा बि समाचार आलो कि आज भारत मा एक अनहोनी ह्व़े कि एक गढवळी न हैंक गढवळी से ब्यौ कार.
 
 
Copyright@ Bhishma Kukreti 18/8/2012
 
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