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उत्तराखंडी ई-पत्रिका

उत्तराखंडी ई-पत्रिका

Thursday, March 8, 2012

जन्यान्युं बाथरूम

घपरोळ
                           जन्यान्युं बाथरूम अर उत्तराखंड आन्दोलन
(मेरा यह लेख 'पराज ' मुबई के मार्च १९९१ अंक में छपा था . इस लेख से मेरे कई मित्र जैसे स्व.अजुन सिंह गुसाईं जी , कापरी जी व अन्य उत्तराखंड क्रांति दल के
सहयोगी मुझसे नाराज भी हुए कि मैं आन्दोलनकारी होते हुए भी मुंबई के आन्दोलन में
अनावश्यक रोड़ा अटका रहा हूं या यह लेख हतोत्साहित करने वाला है
मै समझता हूं की यह लेख आज भी तर्कसंगत है और क्षेत्रीय राजनैतिक दलों के लिए औचित्यपूर्ण है )
                                                भीष्म कुकरेती
                                         जी हाँ ! मि घपरोळया लिख्वार भीष्म कुकरेती डौञरु बजैक , थाळि छणकैक, , ढोल घुरैक, रौंटल
बजैक, कन्टर पीटिक बुलणु छौं बल जब तलक उत्तराखंड आन्दोलनकारी गढ़-कुमौ , उत्तराँचल, उत्तराखंड, मध्य हिमालय
का गाऊँ मा जन्यान्युं बाथरूम , स्नानघर, नयाणो-उबरी बारा मा नि घड़याला/ स्वाचला तैबारी तलक यूँ तैं
उत्तराखंड आन्दोलन मा जनसहयोग मीली इ नि सकुद . जी हाँ मि घुण्ड ठोकिक, भोम्पु बजैक बीच चौबट मा धाई
लगैक बुलणु छौं बल उत्तराखंड आन्दोलन का वास्ता जनान्युं बाथरूम क बारा मा सुचण जरुरी च.
ठीक च जरा घड्यावदी, स्वाचदी, थिंकावदि बल गाँ मा जनान्युं खुणि सीमेंटो बाथरूम च ,
बाथरूम मा द्वी तौली पाणी गम्म भर्युं च अर क्वी जनानी नयाणि च . स्वाचो ! जोर से स्वाचो
बल वा जनानी कनो चैन से , मजा से नयाणि च, मठु मठु कौरिक अपण फिफनाक मैल
गाडणि च, मुंड पर चैन से बेडौर, बेझिझक सिर्प्वळ लगाणि च, सरा गात पर सळसळ साबण लगाणि च ,
सिर्प्वळो ब्वालो या साबणो क फ्यूंण निस्फिर्या होइक , बेफिकर ह्वेक बगाणि च.. अर वा जनानी
निस्फिकर किलै च ? बल वीं तैं बाथरूम मा क्वी निर्लज्ज दिखण वाळ बि नी च.. हाँ , जना बि सुचणाइ
तुम सोची ल्याओ. सुचण मा क्वी हर्ज नी च.
                 अर हे म्यार ठाकुरों ! जनानी चैन से मैल गाड नी च की बात त जरूर सोचिन हाँ!
             हे म्यार भुभरड़ो ! अब त आवो बाथरूम से भैर , ज़रा कल्पना लोक से ए जामा मा
आई जाओ अर द्याखो बल असलियत क्या च. जी क्या च असलियत? बल गढ़वाळ अर कुमाऊं का
गौं मा जनानी कन नयान्दन ? जी अब सुचणै बात नी च अब त दिखणै की इ बात च .ज़रा द्याखो बल तुमारि
या मेरी ददि , काकी, बोडि , ब्व़े,, , बैणि, बौ, बेटी , ब्वारी नातण उख पहाड़ों मा कन नयान्दन. क्वी
गारू- माटक उबर भितर तसला या परत मा बैठिक न्यान्दन, या क्वी लखडों कटघळ ओत मा कनी कौरिक बि नयंदन.
आण-जाण वळु डौरन जन्यान्युन तै नयाण दें सटापटि पोड़ी रैंद. जरा टक लगैक, ध्यान डेक, मगन ह्वेक स्वाचदी,
द्याखोदि बल इन मा जनानी नयाण मा कथगा समौ ल्याला? एक द्वी, तीन .... त तुम पैल्या बल उख
जनान्युं तैं पांच से सात मिंटु मा नयाण पोडद . इनमा, इन स्थिति मा , इथगा कम समौ मा क्वी मर्द,
क्वी कजै , क्वी पुरुष नयावु त वु मर्द, कजै, पुरुष अपण गातौ कथगा मैल गाडी सौकड़ भै?
अर य़ी आन्दोलनकारी स्वाचन बल जब मर्दमानिक पांच दस मिंटूं मा नि नये सकुद
त ये भै जनान्युं कनकैक नयाण भै ! फिर जनान्युं क गातौ सजबिज (शारीरिक विन्यास )
इन च बल जनान्युं तैं नयाण मा जादा समौ चएंद . अर हम गढवाळयूँ गलत कहावत बणयीं च
बल 'मर्दुं खाण अर जनान्युं नयाण मा कम समौ ..'
              अब समौ आइगे बल उत्तराखंड आन्दोलनकार्युं तैं यीं कहावत तै वाया बौम्बे (बम्बई )
अरब सागर मा बौगे दीण चएंद.
                    अब कत्ति उत्तराखंड आन्दोलनकार्यु का नेतौं न पुछण भै यू त ठीक च पण
जनान्युं बाथरूम अर उत्तराखंड आन्दोलन का एक हैंका दगड़ क्या सम्बन्ध , क्या रिश्ता,
क्या रिलेसन भै? खासकर इख बौम्बाई का उत्तराखंड क्रान्ति दल का चार पांच संरक्षक ,
चाहर पांच पढान अर कुज्याण कथगा इ नेतौं न पुछण च बल "हे ! भीषम ! तू इन फोकट की बात
किलै करणु छे भै?"
               चाए ऊ काशी सिंग ऐरी ह्वाऊ या ऊंका राजनैतिक बैरी हरीश रावत ह्वावन
या ह्वावन चन्द्र मोहन सिंग नेगी या ब्रह्म दत्त या बौम्बई मा सुभाष घीसिंग बणणो
सुपिन दिखण वाळ या उ ह्वावन जु द्वी दिन पिकनिक तरां मनाणो पहाड़ जान्दन अर इख
एम.पी की खुर्सी खुज्यान्दन . यूँ मादे कै तैं बि पहाडु मा जन्यान्युं बाथरूमै कीमत , बाथरूम की
जरुरत इ नि पता !
               खासकर मी उत्तराखंड क्रांति दल का आन्दोलनकार्यु बारा मा त बोली इ सकुद बल यूँ तैं
जनान्युं बाथरूम की कीमत का बारा मा पता होंद त आज यूँका पैथर उत्तराखंड का
पचास लाख लोक होंदा. जरा उत्तराखंड क्रांति दल का आन्दोलनकार्यु का हाल ड्याराडूण अर कोटद्वार
वाळु तैं पूछो त सै ? ड्याराडूण मा उत्तराखंड क्रान्ति दल वाळू मीटिंग घंटा घर मा होंद त
नेतौं जमघट त दिख्यांद च पन सुणण वाळू अकाळ रौंद पोड़यूँ. अर याँ से जादा भीड़ त
बांदर नचाण वाळक समिण होंद . कोटद्वार मा झंडाचौक मा जब उत्तराखंड क्रान्ति दल वाळू मीटिंग
होंद त सुणण वाळू मा मनिखूं बात त जाणि द्याओ कुकुर बिरळ बि उना नि दिखेंदन.
उन हरेक चांदो बल उत्तराखंड बौण जाओ पण उत्तराखंड क्रांति दल वाळुञ तैं जनसमर्थन नि
मिलणु च .
             त       जनसमर्थन किलै नि मिलणो च भै ? वांको कारण च, वजै च, रीजन च बल उत्तराखंड क्रांति दल
वाळ हरेक गाँ मा जनान्युं बान बाथरूम चिणणो बात नी करणा छन ,हरेक गाँ मा जनान्युं बान बाथरूम चिणणो
छ्वीं नि लगाणा छन . जनान्युं क सुविधा सम्बन्धी आन्दोलन क नाम च जनान्युं कु ण बाथरूम.
जनान्युं बान बाथरूम एक प्रतेक च , एक सिम्बल च .
                   उत्तराखंड आन्दोलन तैं उथगा समर्थन नी मिलणु च त यांको अर्थ च बल य़ी आन्दोलनकारी
मातृशक्ति , बैणि शक्ति, देवी शक्ति तैं अपण दगड़ नि लै सकिन . जनानी शक्ति तैं अपण दगड नि लै सकिन
त कारण साफ़ च बल यि आन्दोलनकारि जनान्युं वास्ता बाथरूम बणाणो बान णा त समाज से लड़दन ना इ
सरकार से लड़दन . . य़ी आन्दोलनकारी डिल्ली , मुंबई, चंडीगढ़ लखनौ मा रैक पलायन का
रुणी-धाणी, ऐड़ाट भुब्याट त कौरी सकदन पन इन नि पछ्याण सकदन बल अरे ! पैल जनान्युं क मूल भूत
समस्याओं समाधान की छ्वीं लगण जरोरी च. जु पहड़ों से पलायन क्वी रोकी सकदु त वा च मात्री शक्ति.
सिरफ़ पहाड़ की जनानी इ पलायन रोक सकदन ना कि लखनौ की सरकार अर ना ही भावी उत्तराखंड राज्य का
फुन्द्यानाथ. उत्तराखंड का आन्दोलनकारि डिल्ली मा लोगूँ रैली त कौरी सकदन पण
जनान्युं असली , मूलभूत समस्या, परेशानी लेकी ग्राम प्रधानुं , सरपंचूं , ब्लौक प्रमुखूं ,
ब्लौक अधिकार्युं मा नि जै सकदन.
              यि आन्दोलनकारी कोटद्वार मा चक्का जाम त कौरी सकदन पण अपणी मा, बैणि , बेटी
ब्वार्युं , काकी- बोडियूँ परेशानी बारा मा कुछ बि नि सोची सकदन.
हरेक गां मा जनान्युं बाथरूम होण एक प्रतीकात्मक सामाजिक आन्दोलन कु नाम च जखमा
हम पहाड़ कि रीढ़ कि हड्डी क बात कौरी सकद्वां .
                पण जौं आन्दोलन मा सिरफ़ राजनीति कि गंध-बास ह्वाऊ , एम, एल, ए , एम. पी,
कि खुर्सी पाणे बात ह्वाऊ वै आन्दोलन का आन्दोलान्कार्युं मा इन सै, अर्थ वळ, कामै ,
अनोखी, व्यवहारिक बात सुचणो बगत कख च?
             जब पहाड़ कि जनानी द्याखाल बल उत्तराखंड आन्दोलन मा जनान्युं समस्या मूलक बात होणि
च त यि जनानी कूटी-दाथी लेकी आन्दोलन मा कूदी जाली .
        जनान्युं बाथरूम एक प्रतीतात्मक सामाजिक उद्बोधन च अर ये प्रतीतात्मक आन्दोलन से इ भलो बि च
जरा एक घड़ी स्वाचो त सै ! जब आन्दोलनकार्युं आँदोलनौ बदौलत गाँव मा सीड़यूँ तौळ जनान्युं कुणि
बाथरूम बणयाँ ह्वावन त क्या सबी जनानी उत्तराखंड क्रान्ति दलौ चेहती नि ह्व़े जाली? जरोर ह्वेली.
            ज़रा कल्पना कौरो बल उत्तराखंड आन्दोलनकार्युं बदौलत ब्लौकुं मा नौन्युं कुणि
आई टी.आई स्कुल खुली जावन ? त क्या पहाड़ऐ नौन्युं, बेटियूँ क हुनर तैं नया हुनर नि मीललो ?
अर इन मा उत्तराखंड आन्दोलन तैं नयो जन समर्थन नि मीलल ? इनी भौत सी बात छन जु
उत्तराखंड आन्दोलनकार्युं तैं दिखण पोड़ल जां से आन्दोलन तैं नया जन समर्थन मील सौक !
(स्रोत्र : पराज, पत्रिका, मुंबई मार्च 1991, )
Copyright@ Bhishm Kukreti

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आपका बहुत बहुत धन्यवाद
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