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उत्तराखंडी ई-पत्रिका

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Sunday, February 12, 2012

दुधौ सवाद A Story by Vidya Sagar Nautiyal

Story
कथा
                                              दुधौ सवाद
 
                             कथा कार - भग्यान विद्या सागर नौटियाल
                                    A  Story by Vidya Sagar Nautiyal
 
                                   ( अनुवाद - भीष्म कुकरेती )
( A Tribute to Great Story Writer, Novel Writer, Freedom Fighter, Social Activist and left Activist late Vidya Sagar Nautiyal )
(या कथा,सन १९७५ मा हिमांशु जोशी क संपादन मा 'चीड के वनों से, अलकनंदा प्रकाशन मा छपी छे.कथा हिंदी मा च. मीन गढवाली मा अनुवाद कार, जन से गढवा ळी सहित्यौ भंडार बढो -भी.कुकरेती)
ब्व़े बाब दुई भैंस पिजाणो उबरो चलि गेन. तौळ उबर जांद दै ब्वेन् अपण दस सालै नौनी मैना कुण चाट घाळिक ब्वाल, ' चुल्लुमा भुज्जी धरीं च. देखणि रै इन नि ह्व़ा, जौळ जा..". ब्व़े बाब जाणो परांत, मंज्यूळो कुठड़ो म मैना अर वींको सात सालौ भुला दीनू इ छ्या.
" दीदी ! मै डौर लगद, त्वे बि लगद ?"
' ये भाई ! क्यांक डौर लगद त्वे तैं ! मी त नि डरुद !"
" दीदी ! मी तैं यीं भैंसी डौर लगद जु इथगा रात ह्व़े जांद अर तबि बि दूध नि दीन्दी "
"किलै ?"
"ब्व़े बुल्दी बल भैंस दैंत होंदी '
"हमर भैंसी त दूध दिवाळि च. दैंत त मर्खुड्या हूंद ."
" हमर भैंसी बि त मरखुडया च "
'भाई! हमर भैंस त दुधाळ च . दुधाळ भैंसि से नि डर्दन '
' दुधाळ त वा बाजारौ कुणि च . आज तलक, हम कुणि त ईं भैंसिन कबि दूध नि दे ."
                 मैना न कुछ नि बोली अर कड़छुळन कढै-उन्दौ भुजी खरोळण बिसे गे .
हाँ उन त या भैंस ये परिवारौ खुणि दैंत बणिक इ आई . धार मा ब्यणस्यरिको गैणा बि नि आंदो अर तैबारी बिटेन देवकी अर मैना बुबा घनानन्द यीं भैंसी सिवाटहल मा लगी जान्दन. सरा दिन देवकी रून्ड़ो बौण , पटाळा भेंकळु , भुनका जन काण्ड वाळ बुट्यों अर भींटों- भींटों मा जैक घास बटोळिक लांदी छे अर द्वी झण अदा रात तलक भैंसि खातिरदारि मा लग्यां रौंदा छा. भैंसि जब बियाई छे त कटड़ा तैं छांच पिलैक मारी दे ज्यां से वो कटड़ा बजार मा भिज्याण वळु दूध मा हकदार नि बौण साको.
मनिख लोक त चांटा मारिक अपण बच्चों दूध पीणो जिद्द छुडै सकदन पण जानवरूं बच्चों पर आंखी घुरैक या गुस्सा से क्वी फरक नि पड़दो. जानवरूं बच्चो तैं दुधौ स्वादौ कीमत अपण जानि देकी दीण पोड़द .
             घनानंद ब्यणस्यरिक म बिजि जांद. भैंस पिजाणो उपरान्त वु डैकणो फांक्यूँ मा रात लटक्याँ परोठयूँ तैं उतार्दो अर द्वी बगतो दूध तैं एक परोठी मा डाळिक शहरो ज़िना चली जान्दो. क्यानो रुड़ी,बरखा अर ह्यूंद ? यू घनानन्द को रोजौ नियम च.
जै दिन शहर दूध नि जालो मतलब परिवार भुक्की रालो. अपण या कै हौरिक बीमारी या क्वी हौरी वजै हून्दो बि घनानंद शहर जाण बन्द नि कौर सकुद. वु शहर जांद अर आन्द बगत दूधो परोठी मा इ चौंळ लेकी आन्द या कबि लूण, गुड़ ल्हेकी आन्द. रोज पांच मील जाण अर पांच मील आण.
                  या इकी भैंस सरा परिवारों खर्चा चलाणि च . ये परिवारों हौंसण -पुळयांण, , नाच-गाण , खौळ - म्याळ , सीण -बिजण, काम-आराम सब्युंक केंद्र बिंदु या भैंसि च . देवकी कुण दुन्या मा सबसे भली जगा वा च जब कें पथरोड़ी जगा मा, बंजर मा या कै रगड़ मा हौर घास मीलि जा; घनानंद कुण उ दिन निर्भागी दिन होंद जैदिन भैंसी दूध नि द्याओ या कम दूध द्याऊ; मैना खुणि उ दिन सुन्दर च जै दिन ब्व़े तैं भैंसों खुण हौरू हौरू डड्यळ मीलु जावु; दीनू खुणि वा रात पुळेणो (ख़ुशी) च जें रात भैंसि चौड़ दूध दे द्याऊ अर वैकी ब्व़े झट्ट से मंज्यूळ ऐका वै तैं रुट्टी खलैक अपण हथों न सिवाळ द्याओ. आक तलक परिवारों कै बि मनिखन नि जाणि कि यीं भैंसि दूधो सवाद कनो च. ना त ब्व़े बाब ना इ लौड़ -लौड़ी जाणदन बल यीं भैंसि क दूध बकुळ /गाड़ू च या
छाळु /पतुळ च या मिट्ठू ; बच्चों कुण त भैंसों दूध अर भैंसों जुगाळी फ्यूण मा क्वी फ़रक नी च .
                       दीनू न कति दें स्वाच बि च बल वु कैदिन डैकणो डालुन्द लटकीं परोठी बिटेन दूध चुरैक घटाघट दूध पी जौ .पन र्त्यान वै तैं भितर बिटेन भैर आण मा डौर लगडी छे अर सुबेर जब वु बिजदो छौ त वैको बुबा दूध लेकी बजार चलि जान्दो छौ. दिनं जब वैको ब्व़े बाब जब ड़्यारम नि रौंदन त दीनू न अपण सकापौडि (गूढ़ योजना) अपणि दीदी मा ब्वाल बि च अर दीद न बि चटकारा लेकि सकापौडि तैं सुफल कर णो वायदा बि कौर. पण रत्यां सरा योजना भ्युं जोग ह्व़े जांदी छे. अन्ध्यरि रात मा सुबेर स्याम दूध दीण वळी भैंस वैको दिमाग मा दैंत बौणि जांदी छे अर फिर वो मंज्यूळो कुठडि बिटेन भैर सीड्यु मा आणो सांस इ नि कौर सकुद छौ.
                          भैंसों दूध सुकणो मतबल छौ परिवारों लाइफ लाइन सुकण . आज घनानंद शहर बिटेन बौड़ी क नि आई . वैकी रीति परोठी क्वी हैंको मनिख ल्हेकी आयो. आज रतुआ ईन भैंसी तैं को पिजालो क समस्या ऐ गे. या भैंसी इकहत्या च. घनानंद छोड़िक क्वी हैंको ईंक ऐणो पर हhth  लगाओ ना की या भैंसि जोर से बित्की जांद अर घनानंद छोड़िक क्वी ईं भैंसि तैं पिजैइ नि सकद. देवकी भैंसि तैं मलासणि रौंदी अर घना दूध पिजान्दो . आज घनानंद घौर नि बौड़ .अब घनानंद छै मैना तलक घौर नि ऐ सकदो.
कुछ दिनु से भैंसिक दूध कम होंद गे अर घनानंद दूध मा पाणी मिलौट करण लगी गे. आज वै तैं दूध मा मिलौट करणों सजा सुणये गे.
                " भोळ क्वी भैंसूं गलादार आलो त यीं भैंसी वै पर ठेलि द्युंला," देवकी न मैना मा ब्वाल, ' अदा मोल बि मिल ग्याई त गनीमत च."
                       " ए ब्व़े! एक .दै मी तैं यीं भैंसि दूधो सवाद त चखा दे, बस एक दै ." दीनु न ब्वाल् अर अपण मुख हैंक तरफ कौरी दे. वैकि समज मा नि आणि छे कि जै बात तैं वैन भौत सोच समजिक अर हिकमत से अपण ब्व़े ब्वाल वा बात अपण ब्व़े से करण चएंद छे कि ना !
A Tribute to Great Story Writer, Novel Writer, Freedom Fighter, Social Activist and Left Activist late Vidya Sagar Nautiyal
सर्वाधिकार - भग्यान विद्या सागर नौटियाल जीक उत्तराधिकारी 

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