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उत्तराखंडी ई-पत्रिका

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Sunday, January 1, 2012

Modern Status Symbol बड़ आदिमौ पछ्याणक

चमकताळ -भड़कताळ
                          बड़ आदिमौ पछ्याणक
(Garhwali Humour, Garhwali Satire, Humour and Satire from Uttarakhandi Languages,
Satire and Humour in Himalayan Languages.)
                   भीष्म कुकरेती
        कबि कबि मनिख अपणो सुपिनों तैं पूरा करणों बान इथगा इना-उना, वार-प्वार डबकणो रौंद,
इं दुनिया- वीं दुन्या मा भटकणो रौंद बल अपण न्याड़ ध्वार क्या हूणु च , य़ी इ पता इ नि चल्दो .
अब द्याखो ना ! मी बडू आदिम बणण चाणो छौ अर यांक बान रोज कुछ ना कुछ करण इ लग्युं रौंद,
बॉस का समणी तनखा बढाणो रुणी धाणी, प्रमोसनौ बान बॉस का बस्ता उठाण से लेकी बौसौ कुत्ता क
टट्टी क लिंड़र पिंदक साफ़ करण तक सबी कुछ करदो . अब मुंबई मा म्यारो एक फ़्लैट ह्व़े इ ग्याई, कार ह्व़े ग्याई अब
मुंबई से भैर एक फ़ार्म हॉउस ल्हें ल्योलू त मी बि बड़ो आदिम बौणी जौल. पण इन नी च दुन्या कखन से कख चलि गे, बदली गे
सी ब्याळी स्याम की इ त छ्वीं छन .मी ओफ्फिस बिटेन ड़्यार अपण दस बै दस को ड्रवाइंग रूम
मा (जै तैं मेरा दिल्ली अर ड्याराडूण का रिश्तेदार पीठ पैथराँ पिजनहोल या दुज्यळ बुल्दन)
घुसु कि घरवाळी कुणाट करण बिसे ग्याई .
                " तुम तैं कुछ खबर बि च ? " मेरी समज मा नी आई बल घर्वाळी कुछ पुछणि च या दनकाणि च ,
डांटणि च .
              मीन बि तड़तड़ो ह्वेक बोली दे ," अब सरा दिन त्वी टी.वी. क समणि रौंदी त खबर ..त .. त्वे मा इ .."
      घर्वाळी न घुर्याण, धमकाण अर रुणफती मिलीं भौण ब्वाल," सी अनिल अम्बानी , सी टाटा,बाटा,
प्रेम जी, रुईया सब्युं क फोन टेप हुणा छन . पण हमारा इ फोन टेप नी हूणा छन . लोक बाग़ क्या
ब्वालल कि हमम राजकीय सीक्रेट लुकाणो कुछ बि नी च. सरा बिल्डिंग अर रिश्तेदारों बीच हमारी
नाक कट्याणी च ."
          " अरे ! इख्मा नाक कट्याणे बात क्या च . य़ी सौब लोक उद्योगपति छन . सरकार यूंक फोन टेप
कौरिक पता लगान्दी बल य़ी उद्योगपति क्या-क्या धान्दाली करणा छन ?" मीन बिंगाई या समजाणो
पुट्ठ्याजोर(कोशिस) लगाई .
       इथगा मा म्यार बड़ो न ब्वाल," पापा ! यही त रोणे वाळी बात है ! आज हमर कोलेज मा हमारि बडी
बेज्जती ह्व़े कि हम बड़ आदिम नि छंवां. सरकार जौं जौं क फोन टेप करणि च वो सब अब बड़ा आदिम छन
अर कौलेज मा सौब तैं पता चौली गे बल सरकार हमारा फोन टेप नि करणि च ".
मी कुछ जबाब दीन्दो कि मेरी छ्वटि न ब्वाल, "पता है पापा ! हमर कोलेज मा रिंकी, पिंकी, जौनी,
रशीदा सब्युं न मिळवाक कौरिक हम सौब तैं कोका कोला अर फ्रेंच फास्ट फ़ूड की पार्टी द्याई किलैकी सरकार यूँ सब्युंक
फोन टेप करणी च अर यांकी न्यूज अखब़ारूं मा बि छपी गे "
मीन घंघतोळ मा पूछ , " या पिंकी वै च ना जैक बुबा न बन विभागै जमीन प्राइवेट बिल्डरूं नाम कौरी दे छौ अर
अबि जेल बिटेन छुटिक आई. रिंकी क चचा अर मामा टू जी घोटाला मा फंस्यां छ्न अर रशीदा क ददा अर बुबा पर बि आठ दस
आरोप छन अर द्वीई बार बार जेल जाणा रौंदन अर छूटणा रौंदन...अर जौनी क ..?"
छ्वटि न बिची मा ब्वाल, " एंड पापा ! वी आल आर प्राउड दैट दे आर ऑवर क्लासमेट्स."
मि कुछ बोल्दु कि घर्वाळी न बोली, " आज पता च मोहल्ला मा तीन जनान्यूँ क सामाजिक सम्मान ह्व़े ?"
मीन कुछ नि ब्वाल बस आंख्युं न सैन कार बल बोल मेरी भेमाता !
घरवाळी न मुहल्ला पुराण चालु कार," आज पैल त मिसेज घोटालावती तैं मुहल्ला हौल मा सम्मान ह्व़े, फिर दुफरा मा मोहल्ला
वेलफेयर बिल्डिंग मा मा मिस ब्लैक मार्केटिया क सामाजिक सम्मान ह्व़े अर चाय काल मा मिसेज स्कैम स्कैन्डलिया क
मोहल्ला सोसल रिफोर्म होंउस मा सम्मान ह्व़े"
  मीन गंगडेक ब्वाल, " पण यूंक हजबैंड या बुबा सौब शातिर लोक छन त ..."
      मेरी घर्वाळीन खुलासा कार , " हाँ सरकार यूँ सब्युंक फोन टेप करण पर लगीँ च अर ये बाबत अखबारूं मा बि खबर छपी गेन. अर
अब त भोळ बिटेन म्यार मोहल्ला मा मुख दिखाण बि मुस्किल ह्व़े जालो."
     मीन पूछ , ' क्या स्या छ्वटि कैक दगड भगण वाळ च ?"
  मेरी पत्नी न दनकैक ब्वाल , " तुम बि ना ! अबि तलक अपण दादा क जमानो मा ही छंवां. आजकाल कैकी बेटी ब्वारी
दस दें बि कैक दगड भाजी जावन त बुरु नि माने जांद उलटा अच्काल त कैकी बेटी कखी नि भाजदी त जादा बदनामी होंद."
    मीन तड़कैकी पूछ , " ह्यां ! त हम मुख दिखाण लैक बि नि छंवां वाळ बात क्या ह्व़े ?"
      बड़ न ब्वाल," पापा ! मोहल्ले में बात फैल गयी है कि सरकार हमारा फोन टेप नहीं कर रही है ."
   छ्वटि न बिंगाई , " एस ! पापा टुडे फोन टेपिंग बाई गवर्मेंट इज सर्टेनली अ बिग स्टेट्स सिम्बल ."
             मेरी घरवाळी न ब्वाल," अब कुछ बि कारो पण इन जतन कारो कि सरकार हमर फोन टेप करण
लगी जाउ अर यांकी खबर अखब़ारूं मा बि आण चएंद ."
       बड़ न ब्वाल, " पापा ! हमने अपने दोस्त के पापा जो टेलीफोन डिपार्टमेंट में हैं उनसे बात कर ल़ी है. ही विल हेल्प अस.:
        मीन पूछ , "क्वा च उ ? "
      छ्वटि न जबाब दे, " ओ छन ना मिस्टर टेलीफोनवाला. आप मिस्टर टेलीफोनवाला तैं पैलि बि मिल्यां छंवां."
          बड़न bwal   , " पापा ! मैं मिस्टर टेलीफोनवाला को फोन लगा के दे रहा हूँ और स्पीकर ऑन किया हुआ है
आप बात कर लीजिये. हमन मिस्टर टेलीफोनवाला तैं सौब समजयुं च . बस फीस की बात बाकी च ."
      बड़न फोन लगे, स्पीकर ऑन कार अर फोन मीम दे द्याई
        मीन ब्वाल , " मिस्टर टेलीफोनवाला, " मै कुकरेती बोल रहा हूँ अभी ..."
मिस्टर टेलीफोनवाला n boli   , " हाँ हाँ मिस्टर कुकरेती ! आप चान्दन बल सरकार आपक फोन टेप कारो .हैं ?"
     मीन क्या बुलण छौ पण बुलण इ पोड़ , ' हाँ जी !"
         मिस्टर टेलीफोनवाला न बथाई , " इन च खाली सरकार फोन टेप कारली त आप तैं तीन लाख दीण पोड़ल."
      मीन खौल़े क ब्वाल , " तीन ल़ा आ आ आ आ .."
       मिस्टर टेलीफोनवाला n bwal < ", जी ! अर जु आप चाँदवां कि फोन टेप की खबर अखब़ारूं मा बि छपी जाव त सात लाख फीस च .."
        मीन बुलणे कोशिश कार , "क्या ....."
            मिस्टर टेलीफोनवाला न अग्वाड़ी खुलासा कार , अर जु आपकी इच्छा च की फोन टेप की बहस विधान सभा या लोक सभा मा
मा ह्वाऊ त भौत खर्चा लगी जालो. अर मैं नि लगद बल आपकी हैसियत इथगा च ."
           मी कुछ पूछ्दो कि मिस्टर टेलीफोनवाला न ब्वाल, " इन च अच्काल सरकार से फोन टेप हूण एक स्टेट्स सिम्बल ह्व़े गे
त ज़रा फीस जादा लगणि होली पण म्यार रेट सबसे कम छन . अर हाँ ! सौब पैसा म्यार एजेंट को ही दीण हाँ .
जनि आप सात लाख तैयार कौरी देल्या , म्यार एजेंट आप मांगन पैसा ल़ी जालो . अर तिसर दिन बिटेन आपका फोन टेप
हूण बिसे जाल अर पंचौ दिन अखब़ारूं मा खबर छपी जाली कि सरकार तैं मिस्टर कुकरेती पर देश द्रोही होणो शक च
अर यांका वास्ता सरकार मिस्टर कुकरेती का फोन टेप करणि च. " इथगा बुलणो बाद मिस्टर टेलीफोनवाला न फोन बन्द
कौरी दे .
              बड़न ब्वाल ," पापा ! अच्काल भौत सा बैंक यांक बान सौंगु/ सरलता से लोन बि दीणा छन. आप सात लाख का इंतजाम कारो..."
 
            म्यार समज मा नि आणो कि इ होणु क्या च पैल समाजप्रेमी, देशप्रेमी दिखाणो बान लोक खर्चा करदा छया. अच्काल
देशद्रोही होण स्टेट्स सिम्बल ह्व़े गे अर देशद्रोही होणो बान इथगा टुटब्याग करण पड़दन ?
Garhwali Humour, Garhwali Satire, Humour and Satire from Uttarakhandi Languages,
Satire and Humour in Himalayan Languages to be continues in next issue ...
Copyright@ Bhishm Kukreti 

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