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उत्तराखंडी ई-पत्रिका

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Tuesday, January 31, 2012

Garhwali Folk Songs


Garhwali Folk Songs
Compiled on intenet by Bhishm Kukreti

कब आलो ह्यूंद मंगसिर मैना
कब आलो ह्यूंद मंगसिर मैना
हे ज्योरू हे ज्योरू मिन दिल्लि जाण हे ज्योरू मिन दिल्लि जाण
होटल की रुट्टी मिन उखी खांण 
आलू प्याजौ बणाइ साग
घुमणो क जाण मीन करोलाबाग हे ज्योरू मिन दिल्लि जाण
प्याई च सिगरेट फेंकी चिल्ला
घुमणो क जाण मीन लाल किल्ला हे ज्योरू मिन दिल्लि जाण
हे ज्योरू मिन दिल्लि जाण
गोभी की भुज्जी उखी खाण 
गिंदी म्याल़ा प्रसिद्ध गीत
चर्खी टूटी जाली गोविंदी ना बैठ चर्खी मा
चर्खी मा च त्यारो जिठाणो गोविंदी ना बैठ चर्खी मा
पाणी च गरम गोविंदी ना बैठ चर्खी मा
त्वेकू नी च शरम गोविंदी ना बैठ चर्खी मा
मरे जालू मैर गोविंदी ना बैठ चर्खी मा
मरणे कु च डौर गोविंदी ना बैठ चर्खी मा
ताल की कुखडी गोविंदी ना बैठ चर्खी मा
तेरी दिखेली मुखड़ी गोविंदी ना बैठ चर्खी मा
खेली जाला तास गोविंदी ना बैठ चर्खी मा
सरिल च उदास गोविंदी ना बैठ चर्खी मा
चर्खी टूटी जाली गोविंदी ना बैठ चर्खी मा
स्रोत्र स्व. पीताम्बर दत्त देवरानी , मटियाली , लंगूर
सन्दर्भ डा. शिवा नन्द नौटियाल 
द्रौपदी बाजा नृत्य -गीत
द्रुपद--- बोल बोल दुरपदी कै माल बरदी
तू बोल बेटी कै माल बरदी
द्रौपदी --- मीन जाण बुबा जी वै माल कुणि
जु माल बेद मच्छी को आँखों ब्यादलो
द्रुपद -- दुरमा गढ़ मा मालू का थावेड़ा
तू बोल क्वांरी कै माल बरदी
द्रौपदी--- छाती का बाळओंन जी किवाड़ खोलल़ो
जो नौ पोल लिम्बू मोछुं मा थामलो
द्रुपद--- बड़ा बड़ा बीर स्वयम्बरा मा छन
तू बोल बोल बाळी कै माल बरदी
द्रौपदी- डांडा जनि हत्थी भुज्जों मा राखला
जैकी गरजाणि सुणी की दिगपाल कांपला
धर्म हवालो जैको गद्दी का जग्वळया
अर कर्म हवालो जैको भूमि को रख्वळया
मूल स्रोत्र ; स्व.केशव अनुरागी , नाद नंदिनी
सन्दर्भ : डा.शिवा नन्द नौटियाळ
अभिमन्यु बाजा- नृत्य-गीत
तुम रौंदा होला राजा जयंती ध्रिग्पल
तुम होला राजा छत्रसाल भौर
कपटी कौरवों न राजा कुचालू रचेली
जौन रचे राजा सात द्वारों की लड़ाई
जयंती राज भंज राजा सणि पत्री देंदा
जती रंदा पांडो तुम जीती राज मान
तुम आवा पंडो अब सात द्वारों की लड़ाई
जयंती मा ह्व़े ग्याई झोंळी झंकार
सीली त ओबरी राजा झिली ह्वेगे खाट
राजा अर्जुन जायुं च दक्खन का देस
साथ छ वैका किरसण सारथी
घर मा रयुं च बालो अभिमन्यु
मी जौंलो पिता रण भूमि -लड़ाई
छै किलों की कथा मैन मा का पेट मा सुणयाले
जब माता सुभद्रा तैं लगी छै पेट की वेद
अर्जुन न लगाई छै द्वारों की कथा
चक्रव्यूह तोड्नो कु जान्दो छ बालो घंडयाळ
बीरता से दंग रेने पापी कौरव
चालो कौरिक तौं मारे बालो अभिमन्यु
स्रोत्र डा. पुरुषोतम डोभाल
सन्दर्भ डा. शिवा नन्द नौटियाल
पंडौं अर्जुन बाजा नृत्य-गीत
कृष्ण अब पोंछी गे हे अर्जुन
देखी तौं तब हे अर्जुन
जनीति मा विलाप हे अर्जुन
प्रण करी याले हे अर्जुन
जयद्रथ तैं मी मारी धोळलु हे अर्जुन
निथर सूरज डुबण पर भोळ हे अर्जुन
चिता मा पोड़लु हे अर्जुन
********************************
जयद्रथ घर्मु लुक्युं च हे अर्जुन
सूर्य अछ्लेणु वाळ च हे अर्जुन
अर्जुन चिता मा बैठण लगी गे हे अर्जुन
जयद्रथ तमासो दिखण को परगट ह्व़े गे हे अर्जुन
कृष्ण न अपणो माया को चक्र हटाये हे अर्जुन
सूर्य सौब जगा दिखयाण लैगे हे अर्जुन
अर्जुन न तीर मार आले हे अर्जुन
जयद्रथ को सिर आकाश उड़ेगे हे अर्जुन
तेरी परतिज्ञा रै ग्याई हे अर्जुन
सन्दर्भ : डा. शिवा नन्द नौटियाल

पंडो भीम रिन्गौण को लोकगीत : या भीम बाजा नाच गाण
बाला दैणी होई जैन तेरी
दैणी होई जैन त्यरी वा सौ मण कि गदा
परतिज्ञा को दानि बाला
सौ मन कि गदा वाला तेरी होली नौ मन कि ढाल
बाला जंगलूं जंगलूं बाला
भाबरु भाबरु तुमकू रै गेन भारत पियारा
डाल़ा को गोळ हिलैकी बाला
डाल़ा मा बैठयाँ कौरौ कि पटापट पतगे लगाई दिने
चांदी छैला चौक मा बाला
नौ खारी रीठों को मेरा जोधा पिसम्यल्लो बैण याल़े
सौ मन का गोला भीम रे जोधा
सर्ग चूलेने असी असमान अपतां फेंकने हाथी
पर मेरा बाला. भीमसेण जोधा
स्रोत्र ; अबोध बंधु बहुगुणा एवम डा शिवा नन्द नौटियाल

पंडो नृत्य मा कुंती माता अर गैंडा क कथा
कोंती माता सुपिनो ह्व़े गे , ताछुम ताछुम
पांडु का सराध कु चैन्द गैंडो , ताछुम ताछुम
ओड़ू आवा नेडू आवा मेरा पांच पंडाउ, ताछुम ताछुम
तुम जावा पंडउ गैंडा कि खोज, ताछुम ताछुम
सरध क चैन्द पंडो गैंडा की खाल , ताछुम ताछुम
तब पैट्या , पंडो , गैंडो की खाल ,ताछुम ताछुम
नारी दुरपता तप कना बैन बोदा, ताछुम ताछुम
मी बि मेरा स्वामी स्न्ग्मांग औंदु , ताछुम ताछुम
भूक लागलि मै भोजन ह्व़े जौलू , ताछुम ताछुम
तीस लगली मी पाणि ह्व़े जौलू , ताछुम ताछुम
उकाळ लगली मै लाठी बणी जौलो, ताछुम ताछुम
पसीना होलू मै साफा ह्व़े जौलू , ताछुम ताछुम
सेज की बगत मै नारी ह्व़े जौलू, ताछुम ताछुम
जुद्ध लगलो मै कालिका ह्व़े जौलू ,ताछुम ताछुम
त्वेकू होलू मेरी नारी , भूषण बिस्तर ,ताछुम ताछुम
तू घर रैली बैठीं दुरपता . ताछुम ताछुम
तब घुमदा गें पंडाउ गैंडा की खोज, ताछुम ताछुम
ऐ गेन पंडौ हरियाली की ताल, ताछुम ताछुम
वख देखी तौंन सीतारामी गैंडो, ताछुम ताछुम
मै छऊँ पंडो , जनानी जात ,ताछुम ताछुम
में मारिक काम नि होण क्वी , ताछुम ताछुम
तुम जावा पंडो , गागळी का बौण , ताछुम ताछुम
मेरा स्वामी रैन्दो , वख स्वामिपाल, ताछुम ताछुम
तब गैन पंडो गागळी क बण, ताछुम ताछुम ,
गैंडा का ग्वेर छयो नागार्जुन , ताछुम ताछुम
माल़ू ग्वीराळ म्यारो गैंडा नि खांदो, ताछुम ताछुम
पीली छंचरी मेरो गैंडा को चैन्दो , ताछुम ताछुम
तब मारे पंडो न स्वामीपाल गैंडो , ताछुम ताछुम
तब गडी पंडो न गैंडो की खगोती ,ताछुम ताछुम

पंडो नृत्य में अर्जुन वासुदत्ता प्रेमगाथा
द्रोपती अर्जुन सेयाँ छया
रातुड़ी होयें थोडं स्वीणा ऐन भौत
सुपिना मा देखद अर्जुन
बाळी वासुदात्ता नागुं कि घियाण ,
मन ह्वेगे मोहित , चित्त ह्वेगे चंचल
वींकी ज्वानी मा कं उलार छौ
वींकी आंख्युं मा माया को रैबार छौ
समळीक मुखड़ी वींकी अर्जुन घड्याण बिसे गे
कसु कैकु जौलू मै तै नागलोक मा
तैं नागलोक मा होला नाग डसीला
मुखड़ी का हँसीला होला, पेट का गसीला
मद पेंदा हठी होला, सिंगू वाल़ा खाडू
मरखोड्या भैसा होला मै मारणु आला
लोहा कि साबळी होली लाल बणाइ
चमकादी तलवार होली उंकी पैळयाँयीं
नागूं की चौकी बाड़ होलो पैरा
कसु कैकु जौलू मैं तै नागलोक मा
कमर कसदो अर्जुन तब उसकारो भरदो ,
अर्जुन तब सुसकारो भरदो
मैन मरण बचण नागलोक जाण
रात को बगत छयो , दुरपदा सेइं छयी
वैन कुछ ना बोले चाल्यो , चल दिने नागलोक
मद्पेंदा हाती वैन चौखाळी चीरेन
लुवा की साबळी नंगून तोड़ीन
तब गै अर्जुन वासुदत्ता का पास
घाम से घाम, पूनो जसो चाम
नौणीवालो नाम , जीरी वल़ो पिंड
सुवर्ण तरूणी छे , चंदन की लता
पाई पतन्याळी, आंखी रतन्याळी
हीरा की सी जोत , ज़ोन सी उदोत
तब गै अर्जुन सोना रूप बणी
वासुदत्ता वो उठैकी बैठाए अर्जुन
वींको मन मोहित ह्व़े ग्याई
तब वीन जाण नी दिने घर वो
तू होलो मेरो जीवन संगाती
तू होलो भौंर मै होलू गुलाबो फूल
तू होलो पाणी मै होलू माछी
तू मेरो पराण छई, त्वे मि जाण न देऊँ
तब तखी रै गे अर्जुन कै दिन तै
जैन्तिवार मा दुरपदा की निंद खुले ,
अर्जुन की सेज देखे वीन कख गये होला नाथ
जांदी दुरपदा कोंती मात का पास
हे सासू रौल तुमन अपण बेटा बि देखे
तब कोंती माता कनो सवाल दीन्दी
काली रूप धरे तीन भक्ष्याले
अब मैमू सची होणु आई गए
तब कड़ा बचन सुणीक दुर्पति
दणमण रोण लगी गे
तब जांदी दुरपदी बाणो कोठडी
बाण मुट्ठी बाण तुमन अर्जुन बि देखी
तब बाण बोदन , हम त सेयान छया
हमुन नी देखे , हमुन नी देखे
औंदा मनिखी पुछदी दुरपता
जांदा पंछियों तुमन अर्जुन बि देखे
रुंदी च बरडान्दी तब दुरपदी राणी
जिकुड़ी पर जना चीरा धरी ह्वान
तीन दिन ह्वेन वीन खाणो नी खायो
ल़ाणो नी लायो
तब आंदो अर्जुन का सगुनी कागा
तेरो स्वामी दुरपति, ज्यूँदो छ जागदो
नागलोक जायुं वासुदत्ता का पास
तब दुरपता को साँस एगी
पण वासुदत्ता क नौ सुणीक वा
फूल सी मुरझैगी डाळी सी अलसेगी
तिबारी रमकदों झामकदों
अर्जुन घर ऐगे
स्रोत्र : डा गोविन्द चातक
सन्दर्भ : डा शिवा नन्द नौटियाल
गढवाली लोक नृत्य पंडो नाच का 'चाल मांगण ' गीत
अमर रयान तेरी राम तोता बाणी ..... (ढोल-दमाऊ की ध्वनि-- गिजा-गिजड़ी ),
अमर रयान तेरा ह्रदय सागर ...........(ढोल-दमाऊ की ध्वनि-- गिजा-गिजड़ी ),
अमर रयान तेरो सोवन कनौठी........(ढोल-दमाऊ की ध्वनि-- गिजा-गिजड़ी ),
अमर रयान यो तामा बिजेसार ......... (ढोल-दमाऊ की ध्वनि-- गिजा-गिजड़ी ),
अमर रयान नौ टंका नागर ............(ढोल-दमाऊ की ध्वनि-- गिजा-गिजड़ी ),
अमर रयान सोळ टंका ढोल ...............(ढोल-दमाऊ की ध्वनि-- गिजा-गिजड़ी ),
पिता स्याम्दासु ! माता महाकाली .........(ढोल-दमाऊ की ध्वनि-- गिजा-गिजड़ी ),
लगौ मेरा दास टकनौरी रान्सा ............ (ढोल-दमाऊ की ध्वनि-- गिजा-गिजड़ी ),
जंगलूं की सैर ..............(ढोल-दमाऊ की ध्वनि-- गिजा-गिजड़ी ),
कुंती बाजा नृत्य गीत
प्रगट ह्व़े जान, प्रगट ह्व़े जान
प्रगट ह्व़े जान , पांच भाई पंडों
००० ००० ०००
प्रगट ह्व़े जान , कुंती माता
कुंती माता होली पंडो की माता
००० ००० ०००
कोंती माता सूपीनो ह्व़े गए ताछुम ताछुम
पांडू क सराधु कु चैन्द गैंडो ताछुम ताछुम
००० ००० ००००
ओड़ू आवा नेड़ू मेरा पांच पंडऊँ ताछुम ताछुम
तुम जावा पंडऊँ गैंडा की खोज ताछुम ताछुम

पंडौ नृत्य का 'बींद' या जाग जागर
हरि को हरिद्वार जाग , गाँव का भूम्या ळ जाग
धौळी पयाल जाग, छेत्र का छेत्रपाल जाग
गंगोत्री घाट जाग
भांसरी का ताल जाग
तै सातरू जाग
तै मूलु मुखेम जाग
तै तलबला सेम जाग
चन्द्रबदनी माता जाग
राज राजेश्वरी नंदा जाग
खेंटा की अंछरियों जाग
पीड़ी कि भरड़ीयो (सरडी ) जाग
बदरी केदार जाग
दूध धारी नाग जाग
धर्म युधिसठर कि गादी जाग
अर्जुन को गांडीव जाग
भीम कि गदा जाग
सतवंती कुंती माता जाग
सतवंती नारी द्रौपदी जाग
सहदेव कि लाठी जाग
नकुल कि पाटी जाग
बाला घंड्याळ अभेमन्यु जाग
जाग जाग पाँच परमेश्वर जाग

पयाळी : एक पंडौ गीत
मै छयो मेरा दामी निंदरा भुल्युं
अर म्यारो दामी, मै छयो सियूँ -
झलाकार्या बिस्तरा , घुंघराळयाँ चारपाई
अब मेरा दामी , त्वेन लगाए मैं पराज
ढोल का शब्द , नगाड़ू की गूंज
मै आयूँ यख , धारु रड़ीक, गाडू बौगीक
अमर रयाँ भुला , तेरी पंदर पच्चीसी
आज मेरा दामी , तू मैकू
फूल स खिलै दे -भौंर सा उडै दे
महाभारत युद्ध का करण बतलाता लोक गीत
डाळी बडी स्वरीग नैगी, डाळी बडी स्वरिग नैगी
कौरों बोद डाळी हमारि , कौरों बोद डाळी हमारि
पंडो बोद डाळी हमारि , पंडो बोद डाळी हमारि
कौरों पंडो को झगड़ा लैगी, कौरों पंडो को झगड़ा लैगी
डाळी होली कौरों की, खून लग्या धारी
डाळी होली पंडो की, दूध भर्याँ पारी
डाळी दूखु लैगीं तोणण, डाळी दूखु लैगीं तोणण
डाळी लेगी दूध की धारी , डाळी लेगी दूध की धारी
पंडो बोद डाळी हमारि , पंडो बोद डाळी हमारि
कौरों -पंडो को जुद्ध लैगी , कौरों -पंडो को जुद्ध लैगी
रास -सरांव नृत्य का एक गढ़वाळी लोक गीत
कजे - कज्याणी ; तल्या स्यारा सिमी स्यारा मल्या स्यार गिजार .
सबि कजे : चला स्याळी मंदरोळी बनाद्यौ का बजार
सबी कज्याणी ; नाक कि विसोर नी च किलै औं मी बजार
सबि कजे : विसोर त्वेकू तखी ल्यूंल़ो चल स्याळी बजार
सबि कज्याणी : टाट की टटोळी नी च किलै औं मी बजार
सबि कजे : टटोळी त्वेकू तखी ल्यूंल़ो चल स्याळी बजार
सबि झण : तल्या स्यारा सिमी स्यारा मल्या स्यार गिजार
सिमार = दलदल
विसोर = नाक की बुलाक
टाट = गला
टटोळी = गले की हंसुळी/खग्वळी
राधा कृष्ण नाच- गाण कु गीत
कृष्ण: तेरा खुटु का घुंघुरू बाजा, छनना , छनना , छन-छन
तू भली छै बांदा राधा छनना , छनना , छन-छन.
राधा: तू बडी हौन्सिया कन्हया , छनना , छनना , छन-छन
भलो विराज देंदा हाथ की वान्सु ळी , छनना , छनना , छन-छन
कृष्ण : तेरा मुंड कि लटूली उड़ीन सररा , सररा सर सर
तू बडी रंगीली राधा छनना , छनना , छन-छन
राधा : मेरो दिल लागी कन्हैया, त्वेपर फररा, फ़ररा फर फर
तू बड़ो हिन्सौण्या कन्हैया , सररा , सररा सर सर
कृष्ण : तेरी नथुली बुलाक हिली , झलला, झलला झल-झल
तू मेरी दिल कि पियारी , सररा , सररा सर सर
राधा : तेरी गौडियों की घांडी बाजि , ठनना ठनना ठन-ठन
उनि मुरली की सोर बाजि , हररा, हररा , हर हर
कृष्ण : राधा की गागर फूटी .ठनना ठनना ठन-ठन
बैठी ग्याई राधा रुण , आंसू ऐना तरर , तरर तर तर
राधा : तीन मुरली बजाई , छनना , छनना , छन-छन
तब दौड़ी ऐग्युं मी, हीरिरि,हीरिरि , हिर-हिर
कृष्ण : तेरा खुटु का घुंघुरू बाजा, छनना , छनना , छन-छन
तू फूलूँ माकी फूल राधा छनना , छनना , छन-छन
नट नटी नाच गाण (नट नटी लोक नृत्य गीत )
Garhwali Folk song for a Garhwali Nat Nati Folk Dance
अलसी, सिमानी चुची बौ
अलसी, तू रौंदी कख छे ?
तै मथ्या गौं !
अलसी , तेरा यार कत्ती ?
एक बीसी नौ
अलसी, तेरा भितर क्या च ?
एक फुटयूँ तौ
अलसी, तेरा घिन कत्ति ?
एक डून्डी डी गौ
अलसी , तू खांदी क्या छे ?
एक डाळी जौ
अलसी , सिमानी चुची बौ
थाळी नाच-गाण (थाली लोक नृत्य गीत )

हुंगरा लागौन्दी भग्यानी , नाकै की नथुली
हुंगरा लागौन्दी भग्यानी , नाकै की नथुली
जूनी सी मुख तेरो
चमकद इनी जनी
दूध सी धुईं रात
छै जांद जन पूनो
मोती स दांत तेरा
हिलांदी नाथुली
हुंगरा लागौन्दी भग्यानी , नाकै की नथुली
ओ मोटा होंठ तेरा
हिसुरी गोंद जन
ओ बिंदी इन लगदी
जन बदली बीच जून
जब तू खित्त हौसंदी
जब तू मुल्ल हैंसदी
चमकद दांतूड़ी
हुंगरा लागौन्दी भग्यानी , नाकै की नथुली
तेरो सौंल़ू रंग
तेरो छड़बड़ो गात
जै दिन बटे देखी भग्यानी
ह्व़े गे बक्की बात
जब तू ठुम्म हिटदी
जब तू मट्ठू हिटदी
हिलांदी फांकूड़ी
हुंगरा लागौन्दी भग्यानी , नाकै की नथुली
चूड़ी बजदीं छम
जब तू जांदी धाणी
बौणु गुंजणी रैंद
तेरी सुरीली बाणी
गाती रोपीं रैंद
कमर रोपीं रैंद
छुणक्याळी दाथड़ी
हुंगरा लागौन्दी भग्यानी , नाकै की नथुली
Deepak Dance -Somg " An Ancient Garhwali Folk Dance and Song
Bhishm Kukreti
( Garhwali Traditional Folk Dance-Song , Uttarakhandi Folk Dance -Somg, Himalayan Indian Folk Dance-Song)
जय-जयो शुभ घडी आई
जय जयो शुभ दिन आयो
माट औ दीवा कबास क बत्ती
तिलूं तेल, जागो दीवा पूरी पूरी रात

स्यूण/सुई नाच -गाण
हे लठयाळी दादू कैकी बौराण छे ?
धुंवा सी धुपळी , पाणी सी पथळी
केल़ा सी गळखी , नौण सी गुंदकी
दिवा जसी जोत , कैकी बौराण छे ?इनी मेरी होंदी जिकुड़ी मा सेंदी
बादळ सी झडि दुबला सी लड़ी
भ्यूंळ सी सेटकी, लाबू सी ठेलकी
नाक मा च तोता, जीभ मा क्वील
आखौं मा आग, गाळऊँ मा बुरांस .
हूड़की सी कमर , कैकी बौराण छे ?
इनिम्मेरी हुंडी हथकूळी मा सेंदी
बांदू मा की बांद , चांदु मा की चाँद
चीणा जसी झाम , पाळीण्गा सी डाळी
हिसर की सी डॉळी , कैकी बौराण छे ?
घास काटद काटद बणि छे गितांग
स्वामी गें माल चिट्ठी आई नी च
कनू निर्दयी होलू जु बिसरदू ईं तैं
हे लठयाळी दादू कैकी बौराण छे ?

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