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उत्तराखंडी ई-पत्रिका

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Sunday, January 22, 2012

गढ़वाली एवं नेपाली भाषा-व्याकरण भाग -6


Grammar of Kumauni Language
Grammar of Garhwali Language
Grammar of Languages of Uttarakhand
Grammar of Nepali Language
Grammar of Mid Himalayan Languages
                                          मध्य हिमालयी कुमाउंनी , गढ़वाली एवं नेपाली भाषा-व्याकरण का तुलनात्मक अध्ययन भाग -6 (गढ़वाली में सर्वनाम विधान)
                                   (Comparative Study of Grammar of Kumauni, Garhwali Grammar and Nepali Grammar ,Grammar of Mid Himalayan Languages-Part-6 )
                                                               सम्पादन : भीष्म कुकरेती
                                                                      Edited by : Bhishm Kukreti
इस लेखमाला का उद्देश्य मध्य हिमालयी कुमाउंनी, गढ़वाळी एवम नेपाली भाषाओँ के व्याकरण का शास्त्रीय पद्धति कृत अध्ययन नही है अपितु परदेश में बसे नेपालियों, कुमॉनियों व गढ़वालियों में अपनी भाषा के संरक्षण हेतु प्रेरित करना अधिक है. मैंने व्याकरण या व्याकरणीय शास्त्र का कक्षा बारहवीं तक को छोड़ कभी कोई औपचारिक शिक्षा ग्रहण नही की ना ही मेरा यह विषय/क्षेत्र रहा है. अत: यदि मेरे अध्ययन में शास्त्रीय त्रुटी मिले तो मुझे सूचित कर दीजियेगा जिससे मै उन त्रुटियों को समुचित ढंग से सुधार कर लूँगा. वास्तव में मैंने इस लेखमाला को अंग्रेजी में शुरू किया था किन्तु फिर अधिसंख्य पाठकों की दृष्टि से मुझे हिंदी में ही इस लेखमाला को लिखने का निश्चय करना पड़ा . आशा है यह लघु कदम मेरे उद्देश्य पूर्ति हेतु एक पहल माना जायेगा. मध्य हिमालय की सभी भाषाएँ ध्वन्यात्म्क हैं और कम्प्यूटर में प्रत्येक भाषा की विशिष्ठ लिपि न होने से कहीं कहीं सही अक्षर लिखने की दिक्कत अवश्य आती है किन्तु हम कुमाउंनी , गढवालियों व नेपालियों को इस परेशानी को दूसरे ढंग से सुलझानी होगी ना की फोकट की विद्वतापूर्ण बात कर नई लिपि बनाने पर फोकटिया बहस करनी चाहिए. ---- भीष्म कुकरेती )
                                                        गढ़वाली में सर्वनाम विधान (Pronouns in Garhwali)
पुरुष वाचक सर्वनाम: गढवाली में कुमाउनी की तरह स्त्रीलिंग व पुरुषवाचक संज्ञाओं का पृथक सत्ता है. हिंदी के पुर्श्वचक अन्य पुरुष सर्वनाम 'वह' के लिए गढ़वाली में स्यू/स्यो व स्त्रीलिंग में स्या है. बहुवचन में पुल्लिंग व स्त्रीलिंग एक समान हो जाते हैं 'वै' 'वूं' हो जटा है और वा भी 'वूं' हो जाता है
गढवाली भाषा- व्याकरण वेत्ता अबोध बंधु बहुगुणा व लेखिका रजनी कुकरेती ने गढ़वाली सर्वनामों को प्रयोगानुसार पाँच भागों में विभक्त किया है
१-पुरुष वाचक सर्वनाम - मैं, तू, मि
२-निश्चय वाचक सर्वनाम - या, यू, वा, वु, स्या, स्यू
३- सम्बन्ध वाचक -जु , ज्वा
४-प्रश्न वाचक - कु, क्वा, क्या,
५- अनिश्य वाचक - क्वी
अबोध बंधु ने जहाँ सर्वनामों को तालिका बद्ध कर उदहारण दिए हैं वहीं रजनी ने करक अनुसार तालिका दी है. नेपाली, कुमाउनी व गढ़वाली व्याकरण के तुलनात्मक अध्ययन हेतु रजनी कुकरेती की दी हुयी तालिका विशष महत्व रखती है, यद्यपि बहुगुणा की तालिका का महत्व कम नही आंका जा सकता
                                                             बहुगुणा द्वारा बिभाजित सर्वनाम तालिका
---------------------------------------पुल्लिंग ----------------------------स्त्रीलिंग
पुरुषवाचक -------------एकवचन ---------वहुवचन ---------------एकवचन --------बहुवचन
उत्तम पु.-----------------मि/मै ----------- हम ---------------------मि ----------------हम
माध्यम पु. ---------------तु ----------------तुम --------------------तु ------------------तुम
अन्यपुरुष ----------------उ/ओ ------------वु -----------------------वा -----------------वु
२- निश्चय वाचक --------वी ---------------वी ---------------------वै /वई---------------वी
----------------------------स्यो -------------स्यि------------------स्या ------------------ स्यि
----------------------------यो --------------यि /इ ------------------या-------------------यि /इ
३- अनिश्चय वाचक ------क्वी -------------क्वी -------------------क्वी ----------------क्वी
------------------------------------------------कति ---------------------------------------कति
------------------------------------------------कुछ -----------------------------------------कुछ
४-सम्बन्ध वाचक ---------जु ----------------जु --------------------ज्वा ---------------- जु
-----------------------------ते -----------------तौं ---------------------तैं -------------------तौं
-----------------------------ये ------------------यूँ ---------------- यीं/ईं --------------------यूँ
५- प्रश्न वाचक ------------को ----------------कु -------------------क्वा ----------------- कु
क्या ----------------क्यक्या-------------क्या -----------------क्यक्या
रजनी कुकरेती ने मै, तेरा,तुमारा, स्यू/स्या, वु/वा , यू/या, जु/ज्वा क्वा/कु को कारक अनुसार तालिका बढ कर विश्लेषण किया है . कुछ उदाहरण निम्न हैं
मैं/मि उभय लिंगी सर्वनाम तालिका
कारक---------विभक्ति ----------------------------------एकवचन --------------------------बहुवचन
------------------------------------------------------------ मैं/मि -------------------------------हम
करता ----------न ------------------------------------------मिन--------------------------------हमन/हमुन
कर्म ------------सन/सणि/तैं/ सैञ -------------------में /मै -सणि/सन/तैं/सैञ---------------हम - सन/ सणि/तैं / सैञ
करण ----------से ---------------------------------------मेंसे /मैसे ----------------------------------हमसे
सम्प्रदान -----कुण/कुणि/खुण/खुणि/कुतैं--------- में /मै कुण/कुणि/खुण/खुणि/कुतैं------हमकुण/कुणि/खुण/खुणि/ हमूंतैं
अपादान ------बिटी ----------------------------------में/मै बिटी-------------------------------------हमबिटी
छटी ----------म/ मू ------------------------------------मीम , मैमू ---------------------------------हमम /हममू
अधिकरण-----मा--------------------------------------- मीमा /मैमा ---------------------------------- हममा
तु उभयलिंगी सर्वनाम तालिका
कारक---------विभक्ति ----------------------------------एकवचन -----------------------------------बहुवचन
--------------------------------------------------------------तु------------------------------------------तुम -----
करता ----------न -------------------------------------- ----- तिन /तीन --------------------------------तुमन
कर्म ------------सन/सणि/तैं/ सैञ--------------------------त्वेसन/सणि/तैं/सैञ--------------------------तुमसणि/सन /तैं/ सैञ
करण ----------से---------------------------------------------त्वेसे ---------------------------------------तुमसे
सम्प्रदान ------कुणि/कुण/कुतैं/ खुणि --------------------- त्वेकुणि/कुण/कुतैं/ खुणि -------------------तुमकुणि/कुण/कुतैं/ खुणि
अपादान ------बिटी ------------------------------------------त्वेबिटि-------------------------------------तुमबिटि
छटी ----------म/मू--------------------------------------------तीम /त्वेमू -----------------------------------तुममू
अधिकरण- /मा-------------------------------------------------- तीमा, त्वेमा----------------------- तुममा
इस प्रकार हम पाते हैं कि गढ़वाली सर्वनाम का लिंग व वचन भेद क्रिया, विशेषण व स्थान आदि से भी सम्बन्ध है
संदर्भ :
१- अबोध बंधु बहुगुणा , १९६० , गढ़वाली व्याकरण की रूप रेखा, गढ़वाल साहित्य मंडल , दिल्ली
२- बाल कृष्ण बाल , स्ट्रक्चर ऑफ़ नेपाली ग्रैमर , मदन पुरूस्कार, पुस्तकालय , नेपाल
३- भवानी दत्त उप्रेती , १९७६, कुमाउंनी भाषा अध्ययन, कुमाउंनी समिति, इलाहाबाद
४- रजनी कुकरेती, २०१०, गढ़वाली भाषा का व्याकरण, विनसर पब्लिशिंग कं. देहरादून
५- कन्हयालाल डंड़रियाल , गढ़वाली शब्दकोश, २०११-२०१२ , शैलवाणी साप्ताहिक, कोटद्वार, में लम्बी लेखमाला
६- अरविन्द पुरोहित , बीना बेंजवाल , २००७, गढ़वाली -हिंदी शब्दकोश , विनसर प्रकाशन, देहरादून
७- श्री एम्'एस. मेहता (मेरा पहाड़ ) से बातचीत
८- श्रीमती हीरा देवी नयाल (पालूड़ी, बेलधार , अल्मोड़ा) , मुंबई से कुमाउंनी शब्दों के बारे में बातचीत
९- श्रीमती शकुंतला देवी , अछ्ब, पन्द्र-बीस क्षेत्र, , नेपाल, नेपाली भाषा सम्बन्धित पूछताछ
१० - भूपति ढकाल , १९८७ , नेपाली व्याकरण को संक्षिप्त दिग्दर्शन , रत्न पुस्तक , भण्डार, नेपाल
११- कृष्ण प्रसाद पराजुली , १९८४, राम्रो रचना , मीठो नेपाली, सहयोगी प्रेस, नेपाल
Comparative Study of Kumauni Grammar , Garhwali Grammar and Nepali Grammar (Grammar of , Mid Himalayan Languages ) to be continued ........
. @ मध्य हिमालयी भाषा संरक्षण समिति

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