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उत्तराखंडी ई-पत्रिका

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Thursday, June 3, 2010

बाबाओं की फ्रेंचाईज बिकाऊ है

मेरा बचा पड़ने में होसियार है ! कम्पुटर में पी एच डी ,तथा एम् बी ए फाइनेंस से है ! दिखने में सुन्दर ! बोल चाल में मधुर ! बाणी मे जैसे सहद घुला हो ! बाबजूद इन सबके उसे ठंग की नौकरी नही मिल पा रही है ! घर पर बैठा है ! माँ परेशान है ! मै परेशान हूँ और सबसे ज्यादा परेशान वो है ! एसा भी नहीं , की उसने अप्लाई नही किया हो ! उससे जो भी बन पडा है उसने किया और कर रहा है ! हम इसी चिंता में थे की हिन्दोस्तान से मेरे एक मित्र्र का फोन आया ... रामा - रूमी के बाद उसने कहा ---- " कैसे हो ? "
मैंने कहा - " ठीक हूँ , तुम सुनाओ ..?
वो बोला मज़े में हू ! इधर उधर की बात करने के बाद उसने सीधा सवाल किया .. --" छोटा क्या कर रहा है ?"
-- "कुछ नहीं .. कम्पुटर में पी एच डी , एम् बी ए फाइनेंस से किया है , इन डिग्रियों के होते हुए भी काम नहीं मिल रहा है " ..मैंने उत्तर दिया !
रिसेशन चल रहा है शायद इसी बजह से काम नहीं मिल रहा होगा उसने कहा !
मैंने कहा .. "हां " ये भी हो सकता है !
उसने फिर सवाल किया ... " वेसे कितने का पॅकेज मिल जाएगा इसे ... अगर काम मिलता है तो ? "
मैंने कहा --" कम से कम ३ या ४ लाख के बीच .. साथ में हेल्थ पॅकेज भी !
उसका जबाब था " --- बस ..," ! उसके बस कहने के अंदाज से मै हैरान /परेशान सा हो गया था जिस लाईट मूड में उसने कहा ! मुझे लगा की ४ लाख उसके लिए जैसे कोई मायने ही नही रखता ! या उसके पास इससे भी कोई बडिया पॅकेज है !
मैंने उससे कहा -- " यार तू तो , बस, एसे कह रहा है जैसे तेरे पास इससे भी बड़िया आफर है ? "
उसने तुरन्तु कहा --" है ना ..."
जिज्ञासा बस मैंने उससे पुछा .. " क्या है जरा बता तो ? "
उसने कहा .. " बताता हूँ , बताता हूँ ! पहले ये बता की वो बोल चाल में कैसा है ?
मेरा उतर था " बहुत अछा है ! कालेज में उसे डिबेट में प्रथम स्थान मिला ! जब बोलता है धारा प्रबाह ....
उसने मुझे बीच में ही टोक कर कहा ... क्या कहा तुने .. धारा -प्रबाह ...."
"हा.., हा ... क्यूँ? " मैंने उसे प्रश्न किया !
उसने मेरे प्रशन का उत्तर दिए बिना ही अपना अगला सवाल पूछा -- " जनता के साथ क्या वो आँख मिलाकर बाते कर सकता है ?
मैंने कहा कमल है .." कहा ना, डिबेट में उसे प्रथम स्थान मिला है और डिबेट का मतलब तो तू अछी तरह से जानता है ! वो बाजपेई जैसे शैली में भी बात कर सकता है बिना रुक रुक कर क्यूंकि वो हर वाक्य की पीछे एक आध मिनट का गैप रखते है ! ये नहीं ! "
उसका अगला सवाल था -- " दिखने में कैसा है ?'
मैने उससे कहा .. " अब्बे तू .. उसके लिए नौकरी देख रहा है या छोकरी ? आखिर तू कहना क्या कहता है ?
उसने फिर वही सवाल किया -- " दिखने मै कैसा है ?"
मैंने कहा .. " सुन्दर है " जब मुझे रहा नि गया तो मैंने उससे कहा .. " अबे ये बता, की, तेरे पास कोई पॅकेज है भी या नहीं .. या , यो ही खामा खा ... "
वो बोला .. थोड़ा सब्र कर .. मेरे पास जो पॅकेज है , मै, उसमे ..., इसे देख रहा हूँ और अंदाजा लगा रहा हूँ की , ये फिट बैठता है या नहीं !"
मैंने पूछा -- " पॅकेज क्या है बताएगा भी ... ?
उसने मुझे कहा ... " बचा नार्थ अमेरीकामे कितना कमालेगा ? याहीना ३ / ४ लाख ! भाई जी ...., जो मैंने सोचा है ना ... ! अगर हमरा पुत्र मेरे बात मान ले तो ? एक साल में ही लाखो में नहीं, करोड़ो में खेलेगा वो ! "
उसकी बात को सुनकर में थोड़ा शकुचाय की कही वो, इसे , दो नम्बर के धंधे में तो नही डलवा रहा है ! प्रभु की अनुक्म्पासे अभी तक दो रोटी इज्जत की खा रहे है ! आज तक किसी ने हम पर उंगली तक नहीं उठाई है कही इस दल दल में फसा गए तो उसे याद करते ही मेरी रूह काप गई ! मैंने उसे से कहा " भाई , नहीं नहीं हमे नहीं पड़ना है इस पचड़े में ! "
उसने मुझे समझाते हुए कहा .. " अमा , यार , अभी मैंने बात शुरू ही नहीं और तुम बिना सुने ही घटने टेक दिए ! " मै ये देख रह हूँ की ये मेरे सोचे हुए प्लान में कहा फिट बैठ रहा है ! यहाँ हिप्पीयो के बाद आज कल बाबाओं की चल निकली है ! उनकी फ़्रैन्चाइज खुली है ! मै तो कहता हूँ..., तू , उसके लिए ये फ़्रैन्चाइज ले ले ! तू हां कर बाकी मुझ पे छोड़ दे ! मेरे अछे कनेक्शन है देशी और विदेशी बाबाओं से ! अरे भाई.. यहाँ तो कुक्र्मुते की तरह आये दिन बाबा पैदा हो रहे है ! कोई ये बाबा , कोई औ बाबा .. फिर हमरा बचा तो फोरैन रिटर्न वाला बाबा के नाम से जाना जाएगा ! यहाँ के लोग तो लगे लगे उसके पीछे बल्कि बहार याने विदेश के भी लगेगे !
तुने पैकज की बात करी है तो सुन .. चोरसिया बाबा १ करोड़, ! राधे शेम गोरे गौवाले २ करोड़ ,! बब्बा धन्शु ८ करोड़ !, बाबा बज्नेश १५ करोड़ ! बाबा बाम्बेद ४० करोड़ ! ये सब एक महीने का पॅकेज है एक महीना का ! मैंने अपने बेटे का नाम भी रख दिया है " बाबा विदेश्पुरी -नोर्थ अमेरिकावाले " ! मान सन्मान ..कारे , मकान , जमीन सब देखते ही देखते यु समझ पलक झपकते ही ! बोल , क्या कहता है ले लू फ़्रैन्चाइज .... !
मैंने ना नुकुर करते करते भी हां भर दी ! बबब्बो की कृपा से धंधा चल पड़ा है ! अब तो वो जाहा भी जाता है अपने साथ मुझे भी ले जाता है और अपने बगल एक उचे आसन में मुझे बिठाता है ! लोग पहले मेरे पाऊ छुते है बाद में उसके ! मेरा आशिर्बाद पहले लेते है बाद में उसका ! पहला चदवा मुझे चडाते है बाद में उसे ! इस फ़्रैन्जाइज को लेकर मै बहुत खुश हूँ ! जो सोचा नही था वो मिल गया ! वो भी , बेबात में ! साथ में दुखी भी हूँ ? दुखी इसलिए की , पैसे की बेकद्री अगर कही देखनी हो तो मेरे देश में बाबाओं के पंडालो में जाकर देखा जा सकता है !

पराशर गौर

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