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उत्तराखंडी ई-पत्रिका

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Thursday, April 1, 2010

जनता की जेब

लूटली उन्होंने,
क्योंकि उनके खर्चे,
पूरे नहीं हो रहे,
बेचारी जनता क्या करे?
हालत ऐसी हो गई,
चुप रहे या,
कुछ न कहे.

छिड़क दिया,
जले पर नमक,
ये है,
महिलाओं की राय,
इस महंगाई में,
क्या खिलाए,
और क्या खाय.

रचना: जगमोहन सिंह जयाड़ा "ज़िग्यांसु"
(सर्वाधिकार सुरक्षित २३.३.२०१०)

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