उत्तराखंडी ई-पत्रिका की गतिविधियाँ ई-मेल पर

Enter your email address:

Delivered by FeedBurner

उत्तराखंडी ई-पत्रिका

उत्तराखंडी ई-पत्रिका

Wednesday, February 24, 2010

"सुख अर दुख"

सुख की कामना सब्बि करदन,
दुःख की क्वी नि करदु,
भोग्दु छ मन्खि सुख सदानि,
दुःख देखि पल पल डरदु.

दुःख ऊकाळ छ ,
सुख सैंद्यार छ,
द्वी छन मन्खि का खातिर,
दुःख जब मन्खि का दूर ह्वै जान्दन,
बल भूली जान्दु फिर.

सुख कू स्वाद सदानि भलु लग्दु,
मन्खि बद्रीविशाल जी तैं भूली जान्दु,
मायाजाळ मा अल्झि अल्झि ,
परमपिता कू ध्यान नि लगान्दु.

"सुख अर दुख" मन्खि का खातिर,
अतीत सी छन दगड़ा,
तेल, तवा कू साथ त देखा,
तब बणदा छन लगड़ा.

दुःख की घड़ी मा बल मन्खि,
भगवान जी कू नौं लेन्दा,
सुख की घड़ी मा मतलबी मन्खि,
चैन की नींद छन सेन्दा.

रचनाकर: जगमोहन सिंह जयाड़ा "ज़िग्यांसु"
(सर्वाधिकार सुरक्षित २४.२.२०१०)
जन्मभूमि: बागी-नौसा, चन्द्रबदनी, टिहरी गढ़वाल.
कर्मभूमि: "दर्द भरी दिल्ली"

No comments:

Post a Comment

आपका बहुत बहुत धन्यवाद
Thanks for your comments