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उत्तराखंडी ई-पत्रिका

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Wednesday, December 2, 2009

नेताओ की पछयाण

नेता बल आम आदमियो से बिलकुल ही अलग हुन्दन अर पछीणे जदिनी ! जन कुतो माँ , खुजली वाल वालू कुता .... दूर बीटी ही पछ्याणे जांद उनी जनता का बीचम वो भी ! ऊकी , चाल- ठाल, उठूणु-बैठूणु, खाणु- पीणु , बुन- बच्याणु , सब , सब से अलग ही हुन्द ! जी हां , अलग ! संस्कृतं एक श्लोक च " लुन्ड़ो ; बिचतरो गती : " अर्थात जन की लुंड माने आवारा किस्म का आदमी की हर कुछ अलग ही हूँ उनी नेताओ की भी !

हमरा यख याने गडवाल बीटी वी नेता हूनी , जोन, द्वी -द्वी ब्यो कैनी ! जनकी हेम्वान्ती नदन बहुगुणा, शीबानद नोटियाल , जग मोहन सिह नेगी आदि आदि ! अबत कुमो बीटी भी य पर्था चली आण लगी ! हरीश रावत भी ये लग्यात माँ शामिल ह्वेगीनी ! या सबसे पहली पछयाण नेता हूँण की ! नेता त, कई ह्वनी ! पर, इन जन ना ! .. बाकी त जन बुलदं ना बल " बड गोर बल लूण बुकाऊ , अर छुटा थुबउड़ चाट " वनी !

ऊ बुल्दा कुछ छन अर करदा कुछ .. ! देख नी आपल, आज से १० साल पैली , एक बडो नेताल..., तब जू बुलद छो , की मेरी त अंतर्राष्ट्रीय राजनीत म दखल च ! त फिर मी प्रदेशीय राज्नितिम किलै जो ! मयारू दिमाग खराब च क्या ? है, ..... मि , कै पागल कुत्तो कटियु छो जू मी इनु काम कैरू ! कुई पागल ही ह्वालू जू प्रांतीय राजनीतंम जालू ! उन यख तक भी बोली दे छो की " राज्य ? कनु राज्य ...! अगर राज्य बनालू भी त मेरी लाश पर ????? ,,,,, अर जब राज्य बणीगे ! सया पिच्ल्या दरवाज बीटी राज्य की सब से अहम कुर्सी याने चीफ मिनिस्टर ह्त्येदी ! य दूसरी पछयाण च !

तैला मिल्या खुवाल, त , हमन सुणी भी , अर देखि भी छ ! पर, हर
चुनोमाँ , फिरका परस्ती , जजमानी -बामणी, खा- बा- डा अर बाजा बाज त गड्वाली कुमुनी नि चुकदी ताबा ! ये भै, कुई यूथे पूछा ....... /// तुम त हैरी जीती चली जैल्या .... पर हमत यख यखी रैण ! म्यारा गौ माँ कुई जाज काज होल त बामणलत काना ! कुई मोरी भाजिगे त हमले त हमने त हूँ ना कठा ? हमनै त, उठान ना ..मुरियु मुर्दा ? की ई आला देहरादून बीटी, हमरा गौ माँ मुर्दा उठानु कु ? जबरी यूथे हमरी चाड रैद त, कन घुम्दी, हमरा अग्वाडी पिछाडी लिडा कुकर सी ! अर जब हम थै युकी जरुरत पुडाद त तब पट दरवाज बद कैकी भैरम संतरी जू बितर त भीतर आगन्म तक नी आणि देदु ! युकू कुई मुवार्लुत वख सरकारी सरय मशीन दोडी डोदी ई जाली ! युका आसू पुच्णु बड़ा बड़ा अफसर मंत्री ऐजाला ! ये किक नि हुन्दन ये एक औरी पछ्यण च ! ईनी कै बता ओउरी भी छन !

पराशर गौर
नम्बर १६ दिनम ११.५५ पर

1 comment:

  1. Achha lekh laga. Logon ko netaon ki pahchhan honi hi chahiye. Aajkal to har tisra aadmi apne aap ko Neta samajh baitha hai, jo ghar-pariwar se lekar samaj ke logon mein ekta ke bajaya darar paida kar ek khayee banata ja raha hai........

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