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उत्तराखंडी ई-पत्रिका

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Sunday, June 7, 2009

ब्यो अर इश्तिहार

सचै ..., मी अपण बेओ का वारम माँ बहुत पेरशान ह्वैगे छो ! नरेंद्र नेगी जी कु एक गीत " क्वा टुनगी नि पूजी ..कैदेवता नि गेऊ , याने बामण , रिसतादारुम , दगदयौ माँ , स्बुमा गियु ! पर कैल भी मेरा बारम नि सोची , आखिर एक दोस्त्ल बोली ..
" --- क्युओ छै परेसान हुणु ! " इनु कैर की , अप्णि शादी का बारम अखबारम दे एक इश्तिहार ! स्यु वेका बोल्या पर इश्तिहार दया
" एक सुंदर , सुशील टिकाऊ, जो नहीं है बिकाऊ के लिए एक सुंदर सुशिल स्त्री चाहिए ..."
कुछ दिनों का बाद चिठी ऐनी , स्त्रीओ की कम पुरुषों की ज्यादा .... पैडी ... जैमा सब्युना एक ही बात छै लिखी ..... " कृपया हमारी ले जाइए "

परासर गौड़

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